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बीकानेर.बसंत पंचमी के पर्व के साथ ही बीकानेर में फाल्गुनी मस्ती की बयां शुरू हो गई है. होली से ठीक 40 दिन पहले बसंत पंचमी के मौके पर बीकानेर में मां सरस्वती की पूजा आराधना के साथ चंग की थाप पर लोक गीतों की धुनों से होली की मस्ती शुरू हो गई है.

बीकानेर अपनी अलहदा संस्कृति और त्योहारों के रंग में डूबने वाला शहर माना जाता है. बात होली की हो, तो फिर बीकानेर का नाम बड़ी शिद्दत के साथ लिया जाता है. होली के मौके पर देर रात तक शहर के पाटों और गलियों और नुक्कड़ परचम की थाप सुनाई देती है. समूह में बैठे लोग देर रात तक चंग की थाप पर लोकगीत गाते हैं. बसंत पंचमी के मौके पर जस्सूसर गेट पर सरस्वती के पूजन के साथ ही चंग पूजन का कार्यक्रम हुआ.

बीकानेर की होली अनूठी: बीकानेर में होली का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया जाता है और यहां होली के मौके पर शताब्दियों से चली आ रही परंपराओं को भी निभाया जाता है. होली के मौके पर रम्मतों के आयोजन की बात हो या फिर डोलची खेल जैसे 500 साल पुरानी परंपरा आज भी लोग शिद्दत से निभाते हैं.

गुलजार होंगे चौक: वैसे तो बीकानेर के अंदरूनी शहर में पूरे साल ही देर रात तक पाटों पर लोग बतियाते नजर आते हैं. लेकिन होली के मौके पर खासतौर से यहां रौनक और बढ़ जाती है. चंग की थाप पर देशी खयाल और लोकगीत सुनाई देते हैं. होली दरअसल रंग का त्योहार है और यहां के लोगों का मानना है कि जीवन में भी रंग हो तो जीने का मजा है। इसीलिए बीकानेर में होली के मौके पर उम्र के लोग एक साथ नजर आते हैं और उम्र का अंतर यहां लोगों के जीने के अंदाज और त्योंहार की मस्ती में आड़े नहीं आता.

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