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बीकानेर,देवी सिंह भाटी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इन चार सालों में कई मुद्दों को लेकर सीएम को पहले भी पत्र लिखे चुके हैं। एक पत्र सरकार में कैबिनेट मंत्री गोविंद मेघवाल ने भी मुख्यमंत्री को हाल ही में स्कूलों से ढाई सौ अध्यापक हटाने को लेकर शिक्षा मंत्री डा. बी.डी. कल्ला के खिलाफ लिखा। केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल तो रेलवे बाईपास को लेकर रेल मंत्री को पत्र लिख ही चुके हैं। राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग को लेकर भाजपा शासन में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस शासन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और इनकी सरकारों में सीएस ने अब तक 11 पत्र प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को लिख चुके हैं। इन पत्रों का क्या हश्र हुआ जनता को बताने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम के पत्रों से रेलबाई पास की समस्या का और राजस्थानी भाषा की मान्यता के मुद्दे का समाधान हुआ क्या ? और जो जो पत्र लिखे उनका ब्यौरा रखें तो परिणाम शून्य है। कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल का अपने कैबिनेट साथी बी.डी. कल्ला के खिलाफ लिखे पत्र से तो उनकी सरकार की जग हंसाई हुई।जनता को राहत कहां मिली। पत्र लिखना सुर्खियों में आने और राजनीति करने का सरल तरीका है। यह जिम्मेदारी से जनप्रतिनिधि की भूमिका की इतिश्री कर लेना है। सरकारों में इतनी संवेदना कहां है कि पत्र लिखकर अभिव्यक्त की गई जन पीड़ा का समाधान कर दें। देवी सिंह भाटी की पत्र वेदना। विषयान्तर्गत लेख है कि दिनांक 12 जनवरी 2023 को कोलायत विधान सभा क्षेत्र के गोड ग्राम पंचायत के चक 9 जीएमआर में हुई भीषण गैस त्रासदी हुई, जिसमें तीन व्यक्तियों की मृत्यु व छ व्यक्ति झुलस हुए थे। मृतकों को राज्य सरकार द्वारा बीस लाख तथा गैस एजेन्सी द्वारा पचास लाख रूपये दिये जायें। इस संबंध में जिला प्रशासन एवं गैस एजेन्सी द्वारा त्रासदी के बाद लंबा समय निकलने के बाद भी किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं की गई है। जबकि संकट के समय ही पीडितों को तुरन्त मदद की जरूरत होती है, अभी आटे, राशन, ओढने पहनने के कपड़े भी नहीं दिये गये है। त्रासदी से बच्चे घायलों के लिए छत मकान की भी स्वीकृति जारी नहीं की गई है। राज्य सरकार का प्रतिनिधि तथा जिला प्रशासन का जिला कलक्टर, आयुक्त 10 दिन तक संभालने तक नहीं गये, धिक्कार है, ऐसी सरकार और प्रशासन के लिए सरकार तुरन्त व्यवस्था करें अन्यथा हमें संघर्ष के लिए सड़कों पर आना पड़ेगा।

अत: राज्य सरकार ऐसे मामलों में शीघ्र अति शीघ्र निर्णायक फैसला लेवें तथा स्थानीय प्रशासन को आदेश देवें कि पीड़ित परिवार को राज्य सरकार एंव गैस एजेन्सी के नियमानुसार मुआवजा राशि दिलायें तथा भविष्य में भी ऐसी घटनाओं में शीघ्र संज्ञान लेकर पीड़ित परिवार की सहायता करें।
राजस्थान सरकार में ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और बाद में जिला कलक्टर भी घटना से पीड़ित परिवार से मिलने गए। ऐसी गैस त्रासदी राज्य में जोधपुर, बीकानेर समेत कई क्षेत्र में हुई है इसकी जांच करना भी मुद्दा है। सिलेंडर से गैस लीक क्यों हुई ? गैस सिलेंडर में सुरक्षा मानक की पालना नहीं हो रही है? या फिर लापरवाही बरती जा रही है। केवल पत्र लिखने से समाधान नहीं होता, पीछे लगना होता है। हजारों पत्र दफ्तर दाखिल है। हजारों रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं। हजारों पत्र तो सरकारों में देखे ही नहीं जाते भाटी जी। आपका पत्र भी केंद्रीय राज्य मंत्री माननीय अर्जुन राम मेघवाल, कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल की तरह दफ्तर दाखिल हो गया है। जरा पता लगा लीजिए।

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