बीकानेर,राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री से मुख्यमंत्री तक का सफर सचिन पायलट के लिए आसान नहीं लग रहा है। अशोक गहलोत से अब तक 19 ही साबित हुए पायलट के हक में जल्द कोई फैसला होने की उम्मीद भी नहीं दिखाई दे रही है।कई दिनों से पायलट जनता के बीच हैं। पिछले दिनों ताबड़तोड़ सभाएं करते हुए उन्होंने अशोक गहलोत पर भी हमला बोला था। उधर, गहलोत बजट पेश करने की तैयारी में हैं। चुनावी साल होने की वजह से बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़े वादों से लेकर कई योजनाओं के भी ऐलान की संभावना है। ऐसे में माना जा रहा है कि सचिन पायलट ने भले ही सभाओं से ताकत दिखाई हो, लेकिन यह वे भी समझ चुके हैं कि इस बार उनके मुख्यमंत्री बनने की कम ही उम्मीद है। इसी वजह से वे एक बार फिर से कांग्रेस सरकार की हर हाल में वापसी चाहते हैं।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान ने सितंबर महीने में पायलट को मुख्यमंत्री बनाना तय कर दिया था। लेकिन गहलोत के करीबी विधायकों के आगे आलाकमान की भी एक नहीं चली। सितंबर के ऐपिसोड के बाद इस्तीफे वाले कांड से भी कांग्रेस आलाकमान बैकफुट पर आ गया। अब राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि जब राजस्थान चुनाव को महज कुछ ही महीने बचे हुए हैं, तो राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की उम्मीद नहीं के बराबर ही है। गहलोत ही आने वाले महीनों में राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पारी जारी रखेंगे। वहीं, यदि कांग्रेस की वापसी होती है तो सचिन पायलट को मौका मिल सकता है।
सीएम बनने की संभावनाएं लगभग खत्म’
राजस्थान कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने हाल ही में ‘दैनिक भास्कर’ से बात करते हुए यह माना है कि अब बहुत देर हो चुकी है। सचिन पायलट के राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं। दरअसल, कांग्रेस आलाकमान पर अशोक गहलोत के भारी पड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि ज्यादातर विधायकों का समर्थन गहलोत को हासिल है। वहीं, पायलट के पास महज 20 के इर्द-गिर्द विधायक हैं। इसी वजह से कांग्रेस यह बिल्कुल नहीं चाहती कि नेतृत्व परिवर्तन के बीच वह राजस्थान में भी पंजाब जैसी गलती कर बैठे। मालूम हो कि पंजाब में चुनाव से ऐन पहले किए गए नेतृत्व परिवर्तन की वजह से कई नेता नाराज हो गए थे, जबकि मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया था। बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए। पूरे प्रकरण से कांग्रेस की बहुत छीछालेदर हुई थी और विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा, कांग्रेस गहलोत को हटाकर चुनाव से कुछ महीने पहले यह मैसेज नहीं देना चाहती कि उनकी सरकार के कामकाज में कमी थी। उल्लेखनीय है कि खुद राहुल गांधी भी जनता के बीच राजस्थान सरकार द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा करते रहे हैं। ऐसे में गहलोत को अब हटाया जाता है, तो जनता के बीच गलत संदेश जा सकता है।
सबकुछ छोड़ अगले चुनाव की तैयारी में लग गए पायलट
राहुल और प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनने के लिए लंबे समय से पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब जब कुछ ही महीने चुनाव के लिए बचे हुए हैं तो माना जाने लगा है कि शायद ही प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन हो। ऐसे में सबकुछ छोड़कर सचिन पायलट इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गए हैं। उन्होंने जाटलैंड में ताबड़तोड़ सभाएं की हैं। पायलट की लोकप्रियता के चलते इन सभाओं में बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी दर्ज की गई। पेपर लीक मामले में पायलट ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए। गहलोत पर हमला बोलते हुए पायलट ने कहा, ”कॉपी तिजोरी में बंद होकर बच्चों तक पहुंच गई। यह तो जादूगरी हो गई। कोई न कोई तो जिम्मेदार होगा।” पायलट के इन बयानों से साफ है कि वे गहलोत को भी बख्शने के मूड में नहीं हैं। वह बस अगले चुनाव पर फोकस कर रहे हैं, जिससे कांग्रेस की वापसी हो सके।