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बीकानेर,रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) का गठन 1957 में आरपीएफ एक्ट के तहत किया गया था । भारत सरकार द्वारा रेल मंत्रालय के अधीन, रेलवे संपत्ति की बेहतर सुरक्षा और रेलवे संपत्ति की आवाजाही में किसी भी तरह की बाधा को दूर करने के लिये आरपीएफ को रेलवे संपत्ति (अवैध कब्जा) अधिनियम-1966 के प्रावधानों के तहत रेलवे संपत्ति के खिलाफ अपराध के मामलों से निपटने का अधिकार दिया गया है। आरपीएफ को 2004 से रेल यात्री क्षेत्र और रेल यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। यह फोर्स रेल यात्रियों की सुरक्षा में अपराधियों के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ती रहती है । यात्री क्षेत्र और रेलवे संपत्ति, यात्री सुरक्षा की सुविधा, महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने के लिए सतर्क रहती है । रेलवे क्षेत्रों में पाए जाने वाले बेसहारा बच्चों के पुनर्वास के लिए उचित कार्रवाई करती है। इस बल को केंद्रीय बल का गौरव प्राप्त है और बल में महिलाओं की सबसे बड़ी हिस्सेदारी (9%) है।

2022 के दौरान आरपीएफ द्वारा उपलब्धियां –
ऑपरेशन रेल सुरक्षा (RAIL SURAKSHA):- इस ऑपरेशन के तहत रेलवे संपत्ति की सुरक्षा करते हुए आरपीएफ ने रेलवे संपत्ति से जुड़े अपराधों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर वर्ष के दौरान रेलवे संपत्ति की चोरी के 6492 मामले दर्ज किए, जिसमें 11268 अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ 7.37 करोड़ रुपये की चोरी की गई रेलवे संपत्ति की बरामदगी की गई है।
ऑपरेशन ‘उपलब्ध’ (Uplabdh) के तहत दलालों के खिलाफ कार्रवाईः- आरक्षित सीट के लिए रेलवे टिकटों की खरीद आम आदमी के लिए बहुत कठिन काम रहा है क्योंकि दलालों द्वारा थोक में टिकटों को ब्‍लेक में रखा जा रहा था। आरपीएफ दलाली (रेलवे टिकटों की खरीद और आपूर्ति के कारोबार पर अनधिकृत रूप से ले जाने) में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ गहन और निरंतर कार्रवाई करते हुए इस ऑपरेशन के तहत 5179 टिकट दलालों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ 4884 मामले दर्ज किए गए । इसमें आईआरसीटीसी के 1021 अधिकृत एजेंट आरक्षित टिकटों को ब्‍लेक करने में अवैध साधनों का इस्तेमाल कर रहे थे। 140 से अधिक अवैध सॉफ़्टवेयरों को उनके डेवलपर्स, सुपर विक्रेताओं, विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं की गिरफ्तारी के साथ बाधित किया गया है ।
ऑपरेशन नन्हे फरिस्‍ते ( Nanhe Faristey) के तहत बच्चों का बचावः – आरपीएफ देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान करने और उन्हें बचाने का महान कार्य करता है जो विभिन्न कारणों से अपने परिवार से खो जाते हैं / अलग हो जाते हैं। रेल मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में रेलवे के संपर्क में आने वाले संकटग्रस्त बच्चों की बेहतर देखभाल और सुरक्षा के लिए एक संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया जारी की जिसे 2022 में कार्यान्वित किया गया था। एसओपी के अनुसार, वर्तमान में 143 रेलवे स्टेशनों पर सीएचडी संचालित किए जा रहे हैं। आरपीएफ ने अपने परिवार से कई कारणों से खोए हुए / अलग हुए बच्चों को फिर से एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भारतीय रेलवे के संपर्क में आने वाले देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों को बचाया है। इस संबंध में एक सघन अभियान. ट्रेनों/रेलवे स्टेशन में मिलने वाली देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों को बचाने के लिए भारतीय रेलवे पर नन्हे फरिस्‍ते ‘ शुरू की गई है और इसके उल्लेखनीय परिणाम सामने आ रहे हैं। साल के दौरान ऐसे 17,756 बच्चों को आरपीएफ के जवानों ने बचाया है।
ऑपरेशन “AAHT”- आरपीएफ ने, पूरे भारत में पहुंच के साथ राष्ट्रीय वाहक के प्रहरी होने के नाते, मानव तस्करी के खिलाफ राष्ट्र की लड़ाई में अपना कार्य पूर्ण किया है। फोर्स ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ ‘ऑपरेशन आहट’ शुरू किया है । ताकि मानव तस्करों के प्रयासों को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र हो सके, 2022 में जारी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, भारतीय रेलवे के 740 से अधिक स्थानों पर पोस्ट स्तर (थाना स्तर) पर आरपीएफ की मानव तस्करी रोधी इकाइयों को चालू किया गया। वर्ष के दौरान 194 तस्करों की गिरफ्तारी के साथ 559 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया। आरपीएफ ने मानव तस्करी पर बचाव के लिए एसोसिएशन ऑफ स्वैच्छिक एक्शन (नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी की नींव) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर दिनांक 06.05.2022 को हस्ताक्षर किए जिसे बचपन बचाओ आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है ।
मिशन जीवन रक्षा ( JEEVAN RAKSHA): – रेल यात्राओ में ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनमें जल्दबाजी में यात्री चलती ट्रेन में चढ़ने / उतरने की कोशिश करते हैं और फिसल कर ट्रेन के पहियों के नीचे आने के जोखिम के साथ गिर जाते हैं। ऐसे और भी उदाहरण हैं जहां संकट में फंसे लोग जानबूझ कर चलती ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं। इस ऑपरेशन के तहत आरपीएफ के जवान अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने की कोशिश करते हैं। साल भर में आरपीएफ के जवानों ने 852 बेशकीमती जान बचाई।
ऑपरेशन नारकोस ( NARCOS) :- नारकोटिक्स न केवल युवाओं के स्वास्थ्य को नष्ट करता है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और भलाई को भी नुकसान पहुंचाते हैं। आरपीएफ को 2019 में एनडीपीएस एक्ट के तहत तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार दिया गया है ताकि रेल के माध्यम से नारकोटिक्स की तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर फोकस किया जा सके । आरपीएफ ने ऑपरेशन नारकोस शुरू किया है और 1081 अपराधियों को गिरफ्तार किया एवं आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए अधिकार प्राप्त एजेंसियों को सौंप दिया है और लगभग 80 करोड़ रुपये मूल्य के एनडीपीएस की वसूली में सफल रहा है।
‘आपरेशन अमानत ‘(AMANAT) – कई यात्री ट्रेन में चढ़ने या ट्रेन/स्टेशन छोड़ने की जल्‍दबाजी में अपना सारा सामान ले जाना भूल जाते हैं। इस ऑपरेशन के तहत आरपीएफ कर्मी ऐसे सामान को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं और उन्हें सही मालिक को लौटाते हैं। इस ऑपरेशन के तहत, आरपीएफ ने 46.5 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के लगभग 25,500 सामान को सुपुर्द किया ।
ऑपरेशन ‘WILEP’ : वन्यजीवों, जानवरों के अंगों और वन उत्पाद की तस्करी प्रकृति के विरुद्ध अपराध है। रेलवे के माध्यम से वन्यजीवों के अवैध व्यापार में शामिल तस्करों के खिलाफ इस अभियान के तहत आरपीएफ ने कड़ी कार्रवाई की है। वर्ष के दौरान प्रतिबंधित वन्य जीवों के अवैध व्यापार के 129 मामलों का पता चला और 75 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। आरपीएफ इस क्षेत्र में वन्‍य जीवन अपराध नियंत्रण ब्‍यूरों और अन्य हितधारकों के साथ लगातार काम कर रहा है।
ऑपरेशन ‘यात्री सुरक्षा'(YATRI SURAKSHA) – आरपीएफ यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा के लिए अथक मिशन पर है। इस दिशा में आरपीएफ के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने और तात्कालिकता लाने के लिए 2022 में ऑपरेशन यात्री सुरक्षा शुरू की गई थी। यह न केवल आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार करके वास्तविक समय में यात्रियों की सुरक्षा संबंधी शिकायतों का समाधान कर रहा है, बल्कि यात्रियों से संबंधित अपराधों की रोकथाम और पता लगाने के लिए जीआरपी के साथ मिलकर काम भी कर रहा है।
इमरजेंसी रिस्पांस (EMERGENCY RESPONSE) – इस पहल के तहत आरपीएफ रेलवे के माध्यम से यात्रियों की सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा पर विशेष ध्यान देती है। आरपीएफ टोल फ्री नंबर 139 (आपातकालीन प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली नंबर 112 के साथ एकीकृत) और अन्य सोशल मीडिया मंचों यानी ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, कू आदि के माध्यम से कॉल पर भी उपलब्ध है । यात्रियों की सुरक्षा और अन्य शिकायतों को प्राप्त करने और हल करने के लिए चौबीसों घंटे उपलब्‍ध है । वर्ष के दौरान आरपीएफ ने अपनी यात्रा के दौरान वास्तविक समय में सुरक्षा संबंधी सहायता की आवश्यकता वाले व्यक्तियों के 2 लाख से अधिक कॉल पर कार्यवाही की है ।
यात्री अपराध की रोकथाम और पता लगाना- इस ऑपरेशन के तहत आरपीएफ रेलवे के जरिए यात्रियों की सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा पर विशेष ध्यान देती है। आरपीएफ द्वारा भारतीय दण्‍ड संहिता के तहत यात्रियों से संबंधित अपराध के मामलों का पता लगाया गया और गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए जीआरपी / पुलिस को सौंप दिया जाता है। वर्ष के दौरान आरपीएफ ने भारतीय दण्‍ड संहिता के तहत विभिन्न प्रकार के यात्री संबंधी अपराधों में शामिल 5749 अपराधियों को गिरफ्तार कर जीआरपी/पुलिस के हवाले कर दिया। इसमें 82 जहरखुरान , 30 डकैत, 380 लुटेरे, 2628 चोर, 1016 चेन स्नैचर और महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल 93 लोग सम्मिलित थे।
ऑपरेशन महिला सुरक्षा (MAHILA SURAKSHA) – अक्टूबर 2020 से पूरे भारतीय रेलवे नेटवर्क में शुरू की गई ‘मेरी सहेली पहल’ को और बेहतर बनाया गया। इस पहल का उद्देश्य महिला यात्रियों, अकेले या लंबी दूरी की ट्रेनों में नाबालिगों के साथ यात्रा करने वाली महिला यात्रियों को उनकी पूरी यात्रा के लिए आरंभिक स्टेशन से समापन स्टेशन तक सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करना है । इसके कार्यान्वयन के लिए सभी जोनल रेलवे में महिला आरपीएफ कर्मियों की समर्पित टीमों का गठन किया गया है । वर्तमान में, इस उद्देश्य के लिए औसतन 243 टीमों को तैनात किया जा रहा है, जो पूरे भारतीय रेलवे में औसतन प्रतिदिन 640 से अधिक ट्रेनों को कवर करती हैं। इन मेरी सहेली टीमों को सशक्त बनाने के लिए 2022 में एक मेरी सहेली आईटी मॉड्यूल का संचालन किया गया ताकि इन टीमों को सुरक्षा और आश्वासन की आवश्यकता वाले महिला यात्रियों के लक्षित समूह की पहचान करने में मदद मिल सके। महिला यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा भारतीय रेलवे की अहम चिंता रही है। महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य निवारक उपायों को भी लागू किया गया है जैसे कि पुरुष और महिला आरपीएफ कर्मचारियों के मिश्रित अनुरक्षण दल द्वारा ट्रेन की सुरक्षा, 861 स्टेशनों और करीब 6368 कोचों पर सीसीटीवी सिस्टम से निगरानी , महिला विशेष उपनगरीय ट्रेनों में लेडी एस्कॉर्ट्स, लेडीज कोच आदि में अनाधिकृत यात्रियों के खिलाफ नियमित रूप से अभियान चलाया जा रहा है।
ऑपरेशन मातृशक्ति (MATRISHAKTI) – आरपीएफ की महिला कर्मियों ने ट्रेन यात्रा के दौरान गर्भवती महिलाओं की प्रसव पीड़ा में, अपने दैनिक कर्तव्‍यों से हटकर, 209 बच्‍चों के पैदा होने मे सहायता की।
ऑपरेशन सेवा ( SEWA):- इस ऑपरेशन के तहत आरपीएफ के जवान बुजुर्ग नागरिकों की सहायता करते हैं, महिलाएं, शारीरिक रूप से अक्षम और बीमार / घायल व्यक्तियों को ट्रेनों और सेवाओं के माध्यम से अपनी यात्रा में व्हील चेयर जैसी अन्य सुविधाएं प्रदान करना, स्ट्रेचर, मेडिकल मदद, एंबुलेंस मुहैया कराना, दवा और शिशु आहार आदि। वर्ष के दौरान, आरपीएफ द्वारा ऐसे 37000 से अधिक लोगों की सहायता की गई।
ऑपरेशन सतर्क (SATARAK):- कर चोरी करने वालों / कानून तोड़ने वालों के लिए ट्रेनों द्वारा प्रतिबंधित परिवहन एक प्रमुख नाली बन गया है। इस ऑपरेशन का उद्देश्य अन्य एलईए को उनके काम में सहायता करना है, जिसके तहत आरपीएफ तंबाकू उत्पादों जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं की वसूली में अपने स्वयं के / सहायता अन्य एलईए पर कार्य करता है, शराब, एफआईसीएन / बेहिसाब सोना / बेहिसाब नकदी / बेहिसाब अन्य कीमती धातु / तस्करी का सामान / हथियार और गोला-बारूद / विस्फोटक और प्रतिबंधित दवाएं। वर्ष के दौरान, आरपीएफ ने इन गतिविधियों में 2331 व्‍यक्तियों को गिरफ्तार किया और उन्हें आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित एलईए को सौंप दिया। इस अभियान में तंबाकू उत्पादों की कीमत 7.47 करोड़ रुपये; शराब की कीमत 3.32 करोड़ रुपये; और नीचे उल्लिखित अन्य वस्तुओं को जब्त किया गया
वस्‍तु जब्‍त संपति का मूल्‍य (करोड रूपयों मे)
अस्‍पष्‍टीकृत सोना 48.8
अस्‍पष्‍टीकृत चांदी 8.21
अस्‍पष्‍टीकृत अन्‍य मुल्‍यवान धातु 0.35
अन्‍य विदेशी मूल के सामान तस्करी 2.77
अस्‍पष्‍टीकृत धन‍राशि 25.37
हथियार/गोला/बारूद 0.82
अन्‍य बरामदगी जैसे प्रतिबंधित टीके आदि 1.7

ऑपरेशन ‘संरक्षा’ (SANRAKSHA):- यह ऑपरेशन यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है। चलती ट्रेन पर पथराव करने, ट्रेन में ज्वलनशील पदार्थ या पटाखे ले जाने आदि में शामिल अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। वर्ष के दौरान आरपीएफ द्वारा चलती ट्रेनों में पथराव के 1503 मामले दर्ज किए गए और 488 लोगों को गिरफ्तार किया गया। रेलवे ट्रैक के पास के निवासियों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग करते हुए आरपीएफ द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इस अभियान में ट्रेनों में ज्वलनशील/पटाखे ले जा रहे 100 से अधिक व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया गया।
ऑपरेशन ‘जनादेश’ (JANADESH):- आरपीएफ की टुकड़ियों ने हिमाचल प्रदेश, गुजरात, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने और विधानसभा/संसदीय चुनावों के दौरान किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोकने में सहायता की।
ऑपरेशन ‘साथी’ (SAATHI):- इस ऑपरेशन के तहत, कई सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों को लागू किया गया, विशेष रूप से युवाओं को उनके कौशल विकास और उनके लाभकारी रोजगार की सुविधा के लिए रेलवे पटरियों से सटे क्षेत्रों में। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को उनके निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व निधि के माध्यम से संबद्ध करने के लिए उचित प्रशिक्षण की अवधारणा बनाई गई है। विचार यह है कि समुदाय के साथ विश्वास का बंधन विकसित किया जाए, कमजोर युवाओं को अपराध के रास्ते से दूर किया जाए और रेलवे और उसके यात्रियों के खिलाफ अपराध की सुरक्षा और नियंत्रण के लिए समुदाय की मदद ली जाए।
ऑपरेशन ‘गरिमा’ (DIGNITY):- इस ऑपरेशन के तहत रेलवे के संपर्क में आने वाले ऐसी महिलाओं एवं पुरूष / वयस्‍क जिन्‍हे छोड़ दिया या निराश्रित या मानसिक रूप से विक्षिप्त या नशे की लत या चिकित्सा सहायता की जरूरत आदि-आदि होने पर और उन्‍हे देखभाल और सुरक्षा की जरूरत की स्थिति में वर्ष 2022 के दौरान लगभग ऐसे 3400 लोगों को बचाया गया है।
राज्य पुलिस और अन्य कानून स्‍थापित करने वाली संस्‍थाओ को ऑपरेशन रेल प्रहरी के तहत ट्रेनों द्वारा भागने वाले संदिग्धों को पकड़ने में सहायता प्रदान करना- प्रमुख स्टेशनों पर रणनीतिक स्थिति में आरपीएफ कर्मियों की रेल नेटवर्क के माध्यम से देश के कोने-कोने तक उनकी पहुंच, उनके कमांड और पर्यवेक्षण की एकता और आपात स्थिति के लिए त्वरित प्रतिक्रिया की यूएसपी है, जो तब काम आता है जब किसी विशेष राज्य की राज्य पुलिस अपने संदिग्धों को वर्तमान में किसी अन्य राज्य से होकर जाने वाली ट्रेनों से भागते हुए पाती है। इसके अलावा, कानून के लंबे हाथ से बचने वाले कई संदिग्ध अपने नियमित चेकिंग प्रोटोकॉल के दौरान आरपीएफ के जाल में फंस जाते हैं। ऑपरेशन रेल प्रहारी के तहत, आरपीएफ अपनी यूएसपी का उपयोग अन्य पुलिस बलों/कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ट्रेनों से भाग रहे संदिग्धों को पकड़ने में मदद करने के लिए करता है। 2022 के दौरान, 151 ऐसे संदिग्धों को आरपीएफ द्वारा पकड़ा गया और रेलवे क्षेत्र के बाहर उनके द्वारा किए गए अपराधों के लिए संबंधित एजेंसियों को सौंप दिया गया।
रेलवे सुरक्षा बल न केवल रेलवे को अपराधियों और राष्ट्र के प्रति शत्रुतापूर्ण ताकतों से सुरक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है अपितु “सेवा ही संकल्प” के अपने मिशन को पूरा करने के लिए “यशो लभस्व” या “सम्मान प्राप्ति” के अपने आदर्श वाक्य को साकार करने की आवश्यकता में मदद करते हुये कडी मेहनत करता है। बल राष्ट्र और उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपनी प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए नई तकनीक, क्रिया विधि एवं आधुनिक उपकरणों व संशाधनों का उपयोग करना जारी रखेगा।

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