बीकानेर,रसोई में इस्तेमाल होने वाली कुकिंग गैस और चूल्हे को लेकर अमेरिका से जो खबर आई है, उसने भारत में रहने वाले लोगों को भी परेशान कर दिया है. दरअसल, जबसे एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि घर के अंदर जलने वाली कुकिंग गैस से कई जहरीले तत्व निकलते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं…
उसके बाद से ही अमेरिका में इस कुकिंग गैस और चूल्हे पर पाबंदी लगाने की बात की जा रही है. अब इसी बात को लेकर भारत में भी कई लोग इस पर चर्चा कर रहे हैं कि अगर अमेरिका में इसे बैन किया जाता है तो क्या आने वाले समय में भारत में भी इसे बैन कर दिया जाएगा.
क्या कहा है सीपीएससी ने
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कंज्यूमर प्रोडक्ट सेफ्टी कमीशन (CPSC) ने घर के अंदर गैस चूल्हे के इस्तेमाल के लिए जरूरी मापदंड तय करने को कहा है. इसके साथ ही उसने कहा है कि अगर यह मापदंड सही से तय नहीं किए गए तो वह उस पर पाबंदी लगाने की बात करेगा. सीपीएसई के कमिश्नर ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि गैस स्टोव से निकलने वाले जहरीले केमिकल इंसानी जीवन के लिए खतरनाक हैं इसलिए इससे बचने के लिए एजेंसी इन पर लगाम लगाएगी.
क्या कहता है रिसर्च
एक रिपोर्ट के अनुसार, रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट के शोधार्थियों ने अपने शोध में पाया कि गैस के इस्तेमाल से घर में इतना प्रदूषण हुआ जिसे मानक के हिसाब से किसी भी जीवित जीव के लिए सही नहीं माना जा सकता है. खास तौर से इंसानों के लिए तो बिल्कुल नहीं. इस रिसर्च के प्रमुख ब्रैडी सील्स का कहना है कि हम आज एक ऐसे दहन उपकरण (घरों में जलने वाला गैस) के आदि हो गए हैं, जिसे घर के अंदर नहीं होना चाहिए था. इसी रिसर्च में बताया गया है कि घर में गैस जलाने से जो नाइट्रोजन डाइआक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है, वो बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है. रिपोर्ट में कहा गया कि जिन घरों में एलपीजी गैस का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है, वहां बच्चों में अस्थमा की बीमारी होने का खतरा 42 फीसदी और बढ़ जाता है.
इन बीमारियों की है वजह
ऑस्ट्रेलिया में हुई एक रिसर्च में पता चला है कि बचपन में जिन बच्चों को अस्थमा हो जाता है उनमें से 12.3 फ़ीसदी बीमार बच्चों के लिए घर में जलाए गए एलपीजी गैस को जिम्मेदार माना जा सकता है. जबकि, बड़ों के लिए भी यह एलपीजी गैस उतना ही ज्यादा खतरनाक है. इस गैस पर खाना बनाते वक्त जिस नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है वह किसी भी इंसान में पल्मोनरी डिजीज को जन्म देती है. इसकी वजह से इंसानों में हॉट से जुड़ी समस्याएं, शुगर और यहां तक कि कैंसर होने के चांसेस बढ़ जाते हैं.