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बीकानेर,देश में सीमा सुरक्षा बल का पहला ऊंट सवार महिला दस्ता आगामी गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार पुरूष ऊंट दस्ते के साथ राजपथ की परेड में हिस्सा लेगा.इस बीएसएफ वूमेन कैमल काॅन्टीजेन्ट को राजस्थान फ्रंटियर के ट्रेनिंग सेंटर और बीकानेर सेक्टर ने तैयार किया है.

यह दुनिया का पहला महिला ऊंट सवार दस्ता है.

महिला ऊंट सवार दस्ते की ड्रेस डिजाइन भी अद्भुत और खास तरह की है. इसे खासतौर पर विख्यात डिजाइनर राघवेंद्र राठौड़ ने तैयार किया है. बीएसएफ का यह महिला ऊंट सवार दस्ता आकर्षक और ग्लोरियस राजसी पोशाक के साथ पहली बार आगामी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को नई दिल्ली में होने वाली परेड में हिस्सा लेगा.

महिला ऊंट दस्ते में 20 से ज्यादा बीएसएफ की महिला पर्सनल होंगी तैनात

बीएसएफ डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस महिला ऊंट दस्ते में 20 से ज्यादा बीएसएफ की महिला पर्सनल सवार होंगी. गौरतलब है कि इस महिला ऊंट दस्ते ने हाल ही में पहली बार अमृतसर में हुई बीएसएफ की रेजिंग डे परेड में भी हिस्सा लिया था. इन दिनों राजपथ में इसकी काॅन्टीजेन्ट पुरुषों की काॅन्टीजेन्ट के साथ मिलकर रिहर्सल कर रही है.

राजस्थान के इतिहास और सांस्कृतिक तत्वों को वर्दी में किया शामिल

डिजाइनर राघवेंद्र राठौर की बनाई गई महिला प्रहारियों की वर्दी भारत के कई कीमती शिल्प रूपों का प्रतिनिधित्व करती है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में तैयार की जाती हैं. इन्हें राघवेंद्र राठौर जोधपुर स्टूडियो में इन-हाउस असेंबल किया जाता है.

बीएसएफ कैमल कॉन्टिजेंट ब्रांड के लिए महिला प्रहारियों की वर्दी के डिजाइन में राजस्थान के इतिहास के प्राचीन और सांस्कृतिक तत्वों को शामिल किया गया है. बीएसएफ महिलाओं के लिए पोशाक बनाते करते समय, कार्यक्षमता के साथ-साथ राष्ट्रीय बलों की वर्दी पहनने का विशेषाधिकार और सम्मान झलकता है. यह जोधपुरी बंद गला स्टाइल के साथ बेहतरीन नजारा पेश कर रहा है.

कपड़े को 400 साल पुरानी डंका तकनीक में बनाया गया

बनारस के विभिन्न ट्रिम्स के लिए हाथ से तैयार किए गए जरदोजी के काम की बनावट वाले कपड़े को 400 साल पुरानी डंका तकनीक में बनाया गया है. वर्दी को आकर्षक पाघ पगड़ी के साथ स्टाइल किया गया है. एक पगड़ी, जो राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के विरासत पाघ से प्रेरित है. पाघ राजस्थान के लोगों के सांस्कृतिक पहनावे का एक अनिवार्य तत्व है. मेवाड़ में यह पहना और बांधा जाता है और यह किसी की प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक है.

1976 से शुरू हुआ सिलसिला आज भी चल रहा है

गौरतलब हैं कि राजस्थान और गुजरात के रेतीले धोरे के साथ विषम भौगोलिक परिस्थितियों में बीएसएफ के जवानों का ऊंट एक अभिन्न साथी हैं. बीएसएफ का सुप्रसिद्ध ऊंट दस्ता हर वर्ष दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड तथा बीएसएफ की स्थापना दिवस परेड पर अपनी मनमोहक प्रस्तुति देता है. यह सिलसिला 1976 से शुरू हुआ था, जो आज भी चल रहा है.

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