बीकानेर.आमतौर पर किसी लावारिस शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए पुलिस तथा प्रशासन को किसी न किसी संस्था अथवा समाजसेवी से संपर्क करना पड़ता है। अगर कोई संपर्क नहीं होता है, तो शव दो-चार दिन ऐसे ही मोर्चरी में रख दिया जाता है। बाद में किसी से संपर्क कर अंतिम संस्कार कराया जाता है। ऐसे में शव पुराना भी हो जाता है। साथ ही मोर्चरी में अन्य शवों को रखने में परेशानी होती है, सो अलग। अब लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन को किसी के पास नहीं जाना पड़ेगा। यह बीड़ा अब परदेशियों की बगीची मुक्तिधाम समिति ने उठाया है। समिति के पास अगर लावारिस संस्कार कराने के लिए कोई फोन आएगा, तो सारी व्यवस्था समिति के पदाधिकारी अपने स्तर पर करेंगे। इसके अलावा अगर किसी असमर्थ परिवार में भी किसी का निधन होगा, तो उसके अंतिम संस्कार का सारा खर्चा भी समिति वहन करेगी। समिति के सहयोग से कोरोनाकाल में भी साढ़े चार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया था।
इन पदाधिकारियों ने ली जिम्मेदारी
लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए समिति के पदाधिकारियों ने बैठक करके जिम्मेदारी ली है।
इसमें समिति के अध्यक्ष प्रदीप भारद्वाज, प्रबंधक राजीव शर्मा, सचिव विजय आलानी, कोषाध्यक्ष दिनेश वत्स तथा योगेश शर्मा शामिल हैं। समिति की ओर से कोरोनाकाल में करीब 438 शवों का अंतिम संस्कार भी किया गया था।
उस समय परिजन दूर खड़े रहते थे। इस अवधि में लकड़ियां भी कम पड़ गई थीं। तब जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष डीपी पच्चीसिया के सहयोग से लकड़ियों की व्यवस्था कराई गई थी।
गरीबों का भीसहयोग करेंगे
अगर कोई परिवार असमर्थ है और उसके परिवार के किसी सदस्य का निधन होता है और अंतिम संस्कार के लिए राशि उपलब्ध नहीं होगी, तो समिति की ओर से सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी। लेकिन कोई समर्थ परिवार में किसी का निधन होता है, तो सामग्री के पांच हजार रुपए जमा कराए जाते हैं।
सूचना मिलने पर शव वाहन जाएगा
अगर कोई लावारिस शव की सूचना समिति के पदाधिकारियों के पास आएगी, तो समिति की ओर से शवयात्रा रथ भेजकर शव परेदशियों की बगीची मुुक्ति धाम लाया जाएगा। यहां पर समिति के कार्यकर्ता सनातन पद्धति से अंतिम संस्कार करेंगे। इसके लिए समिति के पदाधिकारियों ने कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। किसी भी जाति का शव होगा, उसका अंतिम संस्कार बगीची मुक्तिधाम में ही किया जाएगा। यहां पर अंतिम संस्कार में काम आने वाली सभी तरह की सामग्री उपलब्ध रहती है। इसके अलावा पंडित नहीं होने पर मुक्तिधाम की दीवार पर मंत्र