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बीकानेर,जयपुर 2 करोड़ के रिश्वत कांड से सुर्खियों में आई SOG की ASP दिव्या मित्तल की हकीकत परत-दर-परत खुल रही है। दवा कारोबारी से रिश्वत मांगने के आरोप के बाद गिरफ्तारी और अकूत संपत्ति कमाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। गंभीर आरोपों में घिरी इस महिला अफसर पर SOG इतना मेहरबान थी कि उसे 27 जनवरी को सम्मानित करने की तैयारी कर ली थी। डिपार्टमेंट के ADG ने 18 जनवरी को एक लिस्ट जारी की, जिससे इसका खुलासा हुआ। लिस्ट में सम्मानित होने वाले अफसरों के नामों में दिव्या मित्तल का भी नाम शामिल था। इसके बाद डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। गुरुवार देर शाम ATS-SOG ने गलती सुधारी और संशोधित लिस्ट जारी की। इस लिस्ट से दिव्या का नाम हटा दिया गया है।

  1. 18 जनवरी को यह आदेश हुआ था जारी

सम्मानित होने वाला यह आदेश एडीजी कार्यालय, एटीएस एवं एसओजी जयपुर की ओर से_ _308-18 क्रमांक से जारी हुआ था। इस आदेश में लिखा है कि निर्देशानुसार पुलिस मुख्यालय से प्राप्त स्मृति चिन्ह, डीजीपी डिस्क, गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा घोषित अति उत्कृष्ट सेवा पदक एवं उत्कृष्ट सेवा पदक एटीएस ए‌वं एसओजी में_ _पदस्थापित अधिकारियों को 27 जनवरी को एटीएस और एसओजी कार्यालय में दिया_ _जाएगा। इस आदेश में कुल 29 अधिकारियों के नाम हैं, जिसमें 20 नंबर पर दिव्या मित्तल का नाम है।_

SOG के ADG की ओर से जारी लिस्ट, जिसमें दिव्या मित्तल का नाम भी था।
SOG के ADG की ओर से जारी लिस्ट, जिसमें दिव्या मित्तल का नाम भी था।
आदेश वायरल होने पर निकाला यह आदेश
आदेश वायरल होने के बाद एक संशोधन जारी कर दिया गया है। इसमें बताया गया कि पत्रांक 221-24 दिनांक 17.01.2023 के द्वारा दिव्या मित्तल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एसओजी, चौकी अजमेर के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में जांच चल रही है। वहीं गृह विभाग ने भी दिव्या मित्तल को सस्पेंड कर दिया है। ऐसे में दिव्या मित्तल का नाम इस सूची से हटाया जाता है।

गृह विभाग ने किया है सस्पेंड
घूसकांड में गिरफ्तार चल रही SOG की तत्कालीन एएसपी दिव्या मित्तल को गृह विभाग ने गुरुवार को ही आदेश जारी कर सस्पेंड कर दिया। दिव्या एसीबी के पास रिमांड पर है। उससे पूछताछ की जा रही है।

संशोधित आदेश : एक दिन बाद एसओजी ने अपना संशोधित आदेश जारी किया है। इससे पहले गृह विभाग ने दिव्या मित्तल को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए थे।
संशोधित आदेश : एक दिन बाद एसओजी ने अपना संशोधित आदेश जारी किया है। इससे पहले गृह विभाग ने दिव्या मित्तल को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए थे।
एसीबी पूछताछ में हो रहे लगातार खुलासे
गिरफ्तारी के बाद से दिव्या मित्तल के काले कारनामे सामने आ रहे हैं। आरोप है कि दिव्या मित्तल ने नशीली दवा के जिस केस में गिरफ्तारी का डर दिखाकर हरिद्वार की फार्मा कंपनी के मालिक से 2 करोड़ रु. की घूस मांगी, उसकी जांच ‘ऊपरवालों’ की मेहरबानी से ही उसे मिली थी। जांच दिव्या को ही मिलेगी, इसके लिए वह पूरी तरह आश्वस्त थी। ये भी सामने आया है कि मित्तल की उदयपुर में एक बेशकीमती जमीन पर भी नजर थी।

भास्कर पड़ताल में सामने आया कि 11 करोड़ रु. की नशीली दवाओं की खेप पकड़ने के आरोप में नागौर के गोटन का कमल मौर्य भी आरोपी था। दिव्या ने उसके पिता पूनाराम से तत्कालीन डीजीपी एमएल लाठर को निष्पक्ष जांच करने का पत्र दिलवाया था। उसमें कहा था कि इसके बाद जांच उसी के पास आएगी।

घूसकांड में अरेस्ट होने के बाद कोर्ट में पेशी के दौरान दिव्या मित्तल।
घूसकांड में अरेस्ट होने के बाद कोर्ट में पेशी के दौरान दिव्या मित्तल।
16 जनवरी को हुई थी गिरफ्तार

अजमेर में पोस्टेड रही SOG की तत्कालीन एएसपी दिव्या मित्तल को उत्तराखंड के हरिद्वार में दवा फैक्ट्री के मालिक से 2 करोड़ की रिश्वत मांगने के मामले में जयपुर ACB टीम ने 16 जनवरी को गिरफ्तार किया था। माना जा रहा है कि SOG के किसी अधिकारी का रिश्वत में इतनी बड़ी रकम मांगने का यह पहला मामला है। इतनी बड़ी अधिकारी को ट्रैप करना भी आसान नहीं था।

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1. ASP ने रिश्वत के पैसों से हर साल खरीदी प्रॉपर्टी:दिव्या का लिव-इन पार्टनर से लव मैरिज, फिर दहेज का केस और तलाक

2 करोड़ की रिश्वत मांगने के मामले में ACB की गिरफ्त में आई SOG की ASP दिव्या मित्तल का विवादों से गहरा नाता है। प्रोफेशनल ही नहीं, दिव्या की पर्सनल लाइफ भी कॉन्ट्रोवर्सी से जुड़ी हुई है। उसने अपने लिव-इन पार्टनर से मंदिर में शादी की। कुछ समय बाद उससे तलाक हो गया। बड़ा सवाल ये है कि साधारण परिवार में जन्मी और 1.50 लाख रुपए वेतन पाने वाली दिव्या कैसे करोड़ों की संपत्ति की मालकिन बन कैसे गई? पढ़िए दिव्या की कहानी…

2. करोड़ों की जमीन पर थी ASP दिव्या की नजर:जानती थी कि नशीली दवा केस की जांच उसी को मिलेगी; सरकार ने किया सस्पेंड
दिव्या ने पिछले साल 22 मार्च को हाईकोर्ट में केस की तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की। इसमें पहले के तीनों जांच अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए। सबसे गंभीर आरोप तत्कालीन सीओ मुकेश सोनी पर लगाया गया कि उन्होंने मुख्य आरोपी श्याम मूंदड़ा के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 08/22 को हटाकर धारा 08/29 लगाई

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