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बीकानेर,अशोक गहलोत सरकार की उपलब्धियों और जन कल्याण की योजनाओं के बड़े बड़े पोस्टर, नारे, भाषण और व्यापक प्रचार तंत्र पर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था पर तालाबंदी काले दाग के समान है। यह तालाबंदी सरकार के विकास के ढोल की पोल खोलने के लिए पुख्ता प्रमाण है। मुख्यमंत्री जी गांव गांव में स्कूलो में शिक्षण व्यवस्था को लेकर सरकार की निंदा हो रही है। सरकार मुगालते में है। बेशक सरकार में जन कल्याण की भावना है। जन कल्याण की योजनाओं से जनता को लाभ भी मिल रहा है, परंतु शिक्षा मंत्री की कार्य प्रणाली से काता कुंता कपास हो रहा हैं। शिक्षा मंत्री डा. बी डी कल्ला प्रदेश के वरिष्ठ और अनुभवी नेता है। पहले भी शिक्षा मंत्री रहे हैं। इसके बावजूद स्कूली शिक्षण व्यवस्था के खिलाफ गांव गांव में सरकार की साख को बट्टा लग रहा है। उनके खुद के जिले बीकानेर में पिछले दिनों श्रीडूंगरगढ़ के बापेऊ गांव के विद्यार्थियों ने शिक्षक नहीं होने के विरोध में शिक्षा निदेशालय पर धरना दिया था। बापेऊ की सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 1 से 5 तक की कक्षा तक के शिक्षक के अलावा 12 तक को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। छात्र संख्या 550 के करीब है। छात्रों ने निदेशालय के गेट पर निदेशक का रास्ता भी रोका। बाद में नोखा तहसील के गांव की स्कूलों से भी ऐसी ही मांग उठी। हद तो तब हो गई जब छतारगढ़ तहसील के कालासर गांव में शिक्षक पदों पर भर्ती की मांग को लेकर छात्र, अभिभावक और जनप्रतिनिधि स्कूल पर धरना, प्रदर्शन और तालाबंदी के बाद भी सुनवाई नहीं होने पर गांव से निदेशालय पर धरना देने पैदल रवाना हो गए। इससे ज्यादा सरकार की नाकामी दिखाने का क्या प्रमाण हो सकता है। माने तब तो अच्छा काम करने वाली सरकार का नाक कटने वाली बात है। गांव गांव और घर घर में शिक्षा विभाग की इस कार्य प्रणाली से सरकार के खिलाफ संदेश जा रहा है। विद्यार्थी यानि युवा, अभिभावक यानि किसान और ग्रामीण, जन प्रतिनिधि यानि सरपंच जन कल्याणकारी योजनाओं की छवि धूमिल कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री के रूप में डा. बी.डी कल्ला न अपनी सरकार में सफल है और न जनता में। यह शिक्षा मंत्री के विफल रहने के उनके जिले में ही कम प्रमाण नहीं है। तबादलों की राजनीति और भाई भतीजावाद ने कल्ला के राजनीतिक व्यक्तित्व को छोटा बना दिया है। छात्रों की स्कूलों में तालाबंदी, निदेशालय पर धरना प्रदर्शन शिक्षामंत्री के रूप में विफलता को दर्शाती है। क्या इस ग्रामीण शिक्षण व्यवस्था और शिक्षा मंत्री की कार्य प्रणाली का आगामी विधानसभा चुनाव पर असर नहीं होगा? मुख्यमंत्री जी आप तो इसे बखूबी समझते ही होंगे? शिक्षा मंत्री भले ही इस सच को नकारने के 50 तर्क दें।

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