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बीकानेर.पीबीएम अस्पताल को भ्रष्टाचार का रोग लग चुका है। यहां करोड़ों रुपए का माल उधर-उधर हो गया, जिसका खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। ऑडिट में बड़े घोटाले की आशंका जताई गई है। सबसे बड़ा खुलासा तो यही हुआ कि यहां दस वर्षों से ऑडिट ही नहीं हुई है, जबकि इस दौरान 11 अधिकारी अपना कार्यकाल पूरा भी कर चुके हैं। ऐसे में कई सवाल भी उठ रहे हैं। सबसे बड़ा तो यही है कि अगर इतने लंबे अंतराल से गड़बड़झाला चल रहा था, तो क्या दस्तावेज या रिकॉर्ड्स भी खुर्द-बुर्द नहीं हो गए होंगे। ऐसे में बिना रिकॉर्ड्स या दस्तावेज के जांच कर रही एजेंसियां भी कितना आगे तक जा पाएंगी इसका अंदाजा लगा पाना कठिन नहीं है। फिलहाल, तो पीबीएम अस्पताल में इस खुलासे के बाद से सनसनी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने ऑडिट के आधार पर प्रारंभिक तौर पर जांच कर मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी है। एक अनुमान के मुताबिक,ऑडिट रिपोर्ट के हवाले से ही देखें, तो यह आंकड़ा फिलहाल 50 करोड़ से भी पार जाता दिख रहा है, लेकिन कितना पार जाएगा, यह ऑडिट रिपोर्ट भी बता पाने में असमर्थ है।जानकारों की मानें, तो अगर यह जांच किसी और एजेंसी से कराई जाए, तो यह कहीं ज्यादा ऊपर तक जा सकता है।

11 साल में इतने अफसर आए और गए
पीबीएम अस्पताल में वर्ष 2011 से 2022 तक दस चिकित्सक कार्यालयाध्यक्ष रह चुके हैं। इनमें डॉ.विनोद बिहाणी, डॉ.ओपी श्रीवास्तव, डॉ.सतीश कच्छावा, डॉ.वीर बहादुर सिंह,डॉ.केके वर्मा,डॉ.सीताराम गोठवाल, डॉ.गुलजारीलाल मीणा, डॉ.प्रमोद कुमार बैरवाल, डॉ.मोहम्मद सलीम, डॉ.परमेन्द्र सिरोही शामिल हैं। वर्तमान में डॉ.प्रमोद कुमार सैनी कार्यालयाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं।

इन्होंने की ऑडिट

पीबीएम की ऑडिट चार मई 2022 से 22 सितंबर 2022 तक की गई। ऑडिट दल में लेखाधिकारी (ग्रेड प्रथम) महेश कुमार सेठिया (31 अगस्त,22 को सेवानिवृत), सहायक लेखाधिकारी (द्वितीय) अवनीश डेलू एवं सहायक प्रशासनिक अधिकारी संजय कुमार गुप्ता आदि शामिल थे।

घोटाले के बीज और पौध यहां-यहां

एफवीसी बिलों में अनियमितताएं मिलीं, जिसमें 35 लाख 18 हजार 206 रुपए का इन्द्राज नहीं मिला।
पीबीएम के एक ब्लॉक से नग हारमोनिक स्केपल यानी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी मशीन 2008 में खरीद की गई, जो फरवरी-2011 में चोरी हो गई। यह 17 लाख 10 हजार रुपए की थी। इसी प्रकार 12 मई, 22 से 17 मई, 2022 के बीच आई वार्ड से एक मशीन गायब हो गई, जिसकी कीमत करीब 20 हजार रुपए थी।

राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2014 में आरोग्य ऑनलाइन प्रोजेक्ट तथा बाद में इंटीग्रेटेड हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम चालू करने के कारण एसपी मेडिकल कॉलेज एवं पीबीएम चिकित्सालय में सर्वर रूम स्थापित कर करोड़ों रुपए की राशि के 470 नग कम्प्यूटर, 343 नग प्रिंटर, 90 लेजर प्रिंटर व 253 डॉट मेट्रिक्स पिंटर, छह स्कैनर, सात बार कोड रीडर, 846 नेटवर्क पाइंट सर्वर रूम के अतिरिक्त 18 अन्य विभागों में क्रय किए गए। इसके अलावा स्पिलिट एसी, फायर अलार्म सिस्टम, प्रोटेक्शन एवं ऐक्सेस कंट्रोल सिस्टम, फर्नीचर एवं अन्य सामग्री खरीद करना बताया गया है, लेकिन लेखा-जोखा संधारित नहीं मिला।

मोटर गैराज में चार वाहन और दो ई-रिक्शा उपयोग में लिया जा रहा है, लेकिन डीजल, पेट्रोल लूब्रिकेन्ट्स के मांग-पत्र का विवरण सही नहीं है। एक ही वाहन में एक समय पर पेट्रोल व डीजल दोनों भरवाया गया। वाहनों के पुराने कलपुर्जों, टायर, टयूब्स एवं बैट्रियों का इन्द्राज तथा निस्तारण के बाद प्राप्त राशि के हिसाब-किताब का अभाव मिला।

लाइफ सेविंग मेडिकल स्टोर में रखी औषधियों एवं उपकरण तथा स्टेशनरी व अन्य स्थायी सामग्री जिसकी राशि करीब 90 लाख का भौतिक सत्यापन नहीं पाया गया।
लाइफ सेविंग मेडिकल स्टोर के प्राप्त अभिलेखों में चार नग पंजिकाओं की जांच करने पर पता चला कि क्रय विपत्र से नहीं करके चालान नंबर दिनांक से की जा रही है, लेकिन फर्म का नाम, स्थान बिल संख्या व दिनांक तथा क्रय मात्रा एवं मूल्य अंकन का अभाव पाया गया।

पीबीएम प्रशासन की ओर से समय रहते औषधियों का उपयोग नहीं किया गया, जिससे 24 लाख 82 हजार 398 रुपए की औषधियां अवधिपार हो गई।
राशन भंडार रसोईघर से संबंधित खाद्य सामग्री की एक लाख 47 हजार का इन्द्राज कहीं नहीं मिला।

पीबीएम प्रशासन ने बिना जरूरत की 53 हजार 630 रुपए की दवाएं खरीद कीं।
12 ऑक्सीजन गैस प्लांट के बावजूद बाजार से गैस सिलेंडरों की आपूर्ति करा के सरकार को दो करोड़ रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाई है।

केन्द्रीय औषधि भंडार एवं भंडार से निर्गमित सामग्री का वार्डों, ऑपरेशन थियेटर एवं लैबों में केन्द्रीय भंडार एवं उप भंडार से प्राप्त सामग्री का इन्द्राज नहीं किया गया। इसमें करीब 38 लाख 86 हजार 355 रुपए को खुर्द-बुर्द कर हानि पहुंचाना सामने आया है।
पीबीएम के विभिन्न वार्डों व आपातकालीन वार्डों, आईसीयू, लैब, ओटी आदि में खरीद की गई सामग्री।

अब आगे क्या होगा …
पीबीएम के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अस्पताल प्रशासन खुर्द-बुर्द हुए सामान की रिकवरी संबंधित कार्मिक व जिम्मेदार से करे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो जिनके सहयोग से यह सामान क्रय किया गया, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इतने लंबे अंतराल का रिकार्ड अब मिलना मुश्किल है। ऐसे में जांच में या तो लीपापोती होगी या ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी, ऐसी आशंका ज्यादा है।

इनका कहना है …

ऑडिट रिपोर्ट में पिछले सात-आठ साल में की गई अनियमितताएं सामने आई हैं। करोड़ों का माल खुर्द-बुर्द व खराब किया गया है, जिससे सरकार को प्रत्यक्ष रूप से राजस्व हानि पहुंची है। ऑडिट के आधार पर प्रारंभिक रिपोर्ट मुख्यालय भिजवाई गई है। मुख्यालय से संबंधित विभाग को भेज कर आगामी कार्रवाई कराई जाएगी। एसीबी को जांच का जिम्मा दिया गया, तो निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।
देवेन्द्र बिश्नोई, पुलिस अधीक्षक एसीबी

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