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बीकानेर,राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ द्वारा भाषा, साहित्य व संस्कृति के क्षेत्र में सुदीर्घ सेवा के लिए श्री मलाराम माली स्मृति साहित्यश्री सम्मान और हिन्दी-राजस्थानी साहित्य सृजन हेतु दिए जाने वाले वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है । इस आशय की जानकारी देते हुए संस्थाध्यक्ष श्याम महर्षि ने बताया कि संस्था द्वारा 20 वर्श से अधिक समय तक की सेवा के लिए प्रतिवर्ष दिया जाने वाला और राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध श्री मलाराम माली स्मृति साहित्यश्री सम्मान, हिन्दी और राजस्थानी के मौलिक साहित्य सृजन के लिए प्रतिष्ठित डॉ. नंदलाल महर्षि स्मृति हिन्दी सृजन पुरस्कार व पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार की घोषणा की गई है। संस्था के मंत्री रवि पुरोहित ने बताया कि इस वर्ष मलाराम माली स्मृति साहित्यश्री सम्मान जयपुर के प्रख्यात चिंतक, समालोचक, साहित्यकार श्री राजाराम भादू को उनकी सुदीर्घ साहित्य-सर्जना के लिए अर्पित किया जाएगा। उपाध्यक्ष बजरंग शर्मा ने बताया कि डॉ. नंदलाल महर्षि स्मृति हिन्दी सृजन पुरस्कार इस वर्ष लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्ण कुमार आशु की चर्चित व्यंग्य कृति ‘स्कैंडल मार्च’ के लिए और पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार बीकानेर की ख्यात कवयित्री मोनिका गौड़ को उनकी चर्चित काव्य कृति ‘अंधारै री उधारी अर रीसाणो चॉंद’ के लिए घोषित किया गया है । आयोजन समन्वयक महावीर माली ने बताया कि पुरस्कार 14 सितम्बर, 2021 को श्रीडूंगरगढ में आयोज्य भव्य समारोह में अर्पित किये जायेंगे। सम्मान व पुरस्कार स्वरूप ग्यारह हजार रूपये नगद राशि के साथ सम्मान-पत्र, स्मृति-चिह्न, शॉल अर्पित किए जायेंगे ।
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राजाराम भादू- 24 दिसम्बर 1959 को जन्मे राजाराम भादू विगत 35 से अधिक वर्षो के अपने सृजनकाल में समालोचना की अपनी अलहदा दृष्टि और सृजन में वैचारिक चिंतन व ईमानदारी के लिए चर्चित रहे हैं। सेंटर फोर कल्चरल एक्शन एण्ड रिसर्च, जयपुर के कार्यकारी निदेशक भादू शिक्षा, साक्षरता, पर्यावरण और विकास के मुद्दों पर अनेक सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं के परामर्श मंडल में जुड़े रहे हैं। कविता के संदर्भ, स्वयं के विरुद्ध, सृजन प्रसंग, धर्मसत्ता और प्रतिरोध की संस्कृति, जीवन ही कुछ ऐसा है, शिक्षा के सामाजिक सरोकार, शिक्षा के संदर्भ एवं विकल्प, शब्दों की दुनिया, संस्कृति के प्रश्न, सांस्कृतिक हिंसा के रूप जैसी अनेक कृतियां आपके चिंतन की साक्षी हैं। साहित्य, रंगमंच व ललित कलाओं के अनेक आयोजनों की सफलता आपके नाम है।

डॉ. कृष्ण कुमार आशु – 12 जनवरी 1968 को जन्मे कहानीकार,व्यंग्यकार, बाल साहित्यकार, संपादक व अनुवादक के रूप में ख्यात डॉ. आशु अपने रचनात्मक शिल्प वैशिश्ट्य के लिए जाने जाते हैं। व्यंग्य की तीखी धार और शिल्प की बारीकी की ऊर्जा से सम्पन्न आशु साहित्य अकादमी, दिल्ली के राज. बाल साहित्य पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के कन्हैयालाल सहल पुरस्कार, राष्ट्रपति अवार्ड, जिला प्रशासन सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। हाशिये पर आदमी, युसुफ नहीं जानता, नाक पर चिंतन, परपीड़ा सर्वोत्तम सुख, हारा हुआ सिकंदर, भारत माता का दर्द, समय का प्रहरी, विश्वास की जीत जैसी मौलिक कृतियों के साथ ‘सृजन कुंज’ के सम्पादन कौशल से भी लोकप्रिय रहे हैं।

मोनिका गौड़ – 12 अगस्त, 1972 को जन्मी गौड़ अपने तल्ख अंदाज और स्त्री-विमर्श के अलहदा काव्य शिल्प के लिए जानी जाती है। टिप्पणीकार, समीक्षक, अनुवादक के रूप में ख्चात और मंचीय काव्य प्रस्तुतियों के लिए आपकी अलग पहचान है। अपने आप से परिचित, हरी-हरी खुशबू और काली गोैरैया, हथेळी में चॉंद, इण स्हैर रा लोग, अंधारै री उधारी अर रीसाणो चॉंद आदि कृतियां प्रकाशित। गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी पुरस्कार, नानूराम संस्कर्ता सम्मान, नगर विकास न्यास सृजन पुरस्कार, बृज उर्मी राजस्थानी काव्य पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से समादृत गौड़ की नेशनल बुक ट्रस्ट से भी पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।
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