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बीकानेर,राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य है जो खुद में इतिहास, परंपराएं, रंग, संगीत, कला, प्रथा, वीरगाथा और स्वाद समेटे हुए है।इस राज्य के किसी भी हिस्से में जाएंगे तो वहां एक नया स्वरूप और रंग के अलग-अलग और स्वादिष्ट व्यंजनों का जायका लेने का मौका मिलेगा। ऐसा ही शहर है बीकानेर जहां के प्रसिद्ध बीकानेरी भुजिया की तुलना दुनिया में कहीं नहीं हो सकती। इतिहास प्रेमियों और संस्कृति के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक केंद्र, बीकानेर हमेशा पर्यटकों का पसंदीदा रहा है।

अपने महान आतिथ्य और शिष्टाचार के लिए जाना जाने वाला यह शहर कई स्वादिष्ट भोजनालयों से युक्त है, जो कुछ एक सदी से भी अधिक पुराने हैं। चाहे यहां रॉयल ब्रेकफास्ट हो या फिर चाय के लिया जाने वाला स्नैक। चलिए आपको बताते हैं कि अगर आप बीकानेर में हैं या जाने की सोच रहे हैं तो आपको कौन-कौन से व्यंजनों को मिस नहीं कर सकते।

खस्ता कचौरी से आकार में थोड़ा बड़ा, खस्ता एक ऐसी चीज है जो सभी बीकानेरियों की पसंद है। ‘खस्ता’ का शाब्दिक अर्थ होता है परतदार, जिसे स्नैक के रूप में लिया जा सकता है। बीकानेर का यह खस्ता मसालेदार दाल से भरा होता है। इसे अक्सर स्वादिष्ट आलू करी की एक प्लेट के साथ परोसा जाता है, यह सुबह के नाश्ते के साथ-साथ शाम के नाश्ते के रूप में खाया जा सकता है। पूरे शहर में इस मुंह में पानी लाने वाले नाश्ते की पेशकश करने वाले कई छोटे-छोटे स्टॉल मिल सकते हैं। इसके ऊपर चटनी, प्याज़, टमाटर, दही और सेव डालना एक अच्छी टिप होगी।

गट्टे की सब्जी

राजस्थान मसाले और घी के लिए जाना जाता है। गट्टे की सब्जी एक ऐसी डिश है जिसको खाने के बाद आपका इसे बार-बार खाने का मन करेगा। बेसन से बना यह व्यंजन दो रूपों में उपलब्ध है- सूखा और करी। दही-आधारित ग्रेवी में गट्टा या उबले हुए बेसन के पकौड़े होते हैं। इस डिश की यूएसपी इसकी सादगी में निहित है।

लाल मास

अगर आप नॉन वेजिटेरियन हैं तो आपको बीकानेर के लाल मास को जरूर चखना चाहिए। गर्म और मसालेदार लाल मास सीधे आपको शाही रसोई की याद दिलाएगा। लाल मास (मथानिया मिर्च) के साथ दही-आधारित ग्रेवी में तैयार एक मटन करी है, जो हर नॉन वेजिटेरियन का फेवरेट होता है। परंपरागत रूप से, जंगली सूअर (शाही शिकार के बाद पकड़े गए) का उपयोग करके ये पकवान तैयार किया गया था, लेकिन आज, मटन मास भी इसका विकल्प है। लोकप्रिय धारणा के अनुसार, मारवाड़ी सख्त शाकाहारी होते हैं, हालांकि, लाल मास मारवाड़ी व्यंजनों को परिभाषित करता है। लाल मास के खास अंदाज में सरसों के तेल का उपयोग कर तैयार किया जाता है। तैयारी के दौरान, चारकोल के जलते हुए टुकड़ेके साथ एक कटोरी, लौंग और स्पष्ट मक्खन के साथ भिगोकर ऊपर रखा जाता है और बर्तन को बंद कर दिया जाता है, जिससे चारकोल से निकलने वाला यह धुआं मास की सुगंध और स्वाद को बढ़ाता है। यह शाही व्यंजन राजपूत योद्धाओं द्वारा शिकार और मांस खाने की समृद्ध विरासत का प्रमाण है।

केसर फिनी

ऐसा माना जाता है कि पारंपरिक राजस्थानी हलवाई के अलावा इस व्यंजन को दोहराना लगभग असंभव है। केसर के स्वाद वाली यह मिठाई कुछ हद तक देसी कॉटन कैंडी की तरह लगती है और आपके मुंह में जाते ही तुरंत पिघल जाती है। चावल के आटे और घी के साथ बनाया गया और चीनी की चाशनी में भिगोया हुआ, ऊपर से सुनहरा पीला रंग केसर और इलायची की मादक सुगंध के साथ मिलाकर इसे अनूठा बनाया जाता है। इस डिश को एक कटोरी गर्म दूध के साथ परोसा जाता है, साथ ही रबड़ी की टॉपिंग के साथ भी इसका आनंद लिया जा सकता है।

बीकानेरी भुजिया

बीकानेर के रियासत और स्वाद के बारे में बात करते हुए प्रिय बीकानेरी भुजिया जिक्र ना करना अपराध जैसा होगा। यह व्यसनी स्नैक आज पूरे भारत में बनाया जाता है, लेकिन जो चीज बीकानेरी भुजिया को अलग करती है, वह है मुख्य सामग्री- पिसी हुई मोथ दाल, विशेष रूप से बीकानेर और जोधपुर में पाई जाने वाली फसल। आज लगभग सभी भारतीय डिश को कॉम्पलीमेंट करती ये बीकानेरी भुजिया को मिस करना मुश्किल है।

रसगुल्ला

रसगुल्ला सुनकर आप सोच रहे होंगे कि ये तो बंगाल की मिठास है। लेकिन अपनी हलवाई संस्कृति के लिए जाना जाने वाला शहर बीकानेर रसगुल्लों में भी ऐसा स्वाद देता है जो इसे दूसरों से अलग बनाते हैं।

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