बीकानेर,छतरगढ़ शिकार प्रकरण वन विभाग और पुलिस की कार्य प्रणाली के लिए तो शर्मनाक घटना है, इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण इस घटना पर राजनीति करना है। इससे प्रशासन और सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजमी है। यह सारे प्रकरण के दूरगामी परिणामों को समझने वाले ही जानते हैं। शिकार करने वाले निसंदेह अपराधी है। इन शिकारियों को राजनीतिक संरक्षण देने वाले घोर अपराधी है। अकर्मण्यता के चलते इतने ही अपराध के भागीदार वन विभाग और पुलिस हैं। यह शिकार की घटना और बाद का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है जो वाकय चिंता जनक है। जिला कलक्टर परिसर में इसी मुद्दे पर धरना पूरी व्यवस्था और सांठ गांठ की पोल खोलता है। प्रशासन का समझौता प्रस्ताव भले ही कुछ भी हो क्या इन घटनाओं से उठे सवालों के जवाब मिले सकेंगे ?।
बीकानेर कलेक्ट्रेट में सोमवार को वन्यजीव प्रेमियों ने 36 कौम, सामाजिक संगठनों ने मिलकर जीव रक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया गया जो आगामी आंदोलन का माध्यम बनेगी। संघर्ष समिति का अनिश्चितकालीन धरना बीकानेर कलेक्टर के समक्ष हुआ। इस दौरान वक्त्ताओं ने मंच से पूरे प्रकरण का सच सार्वजनिक किया।
आंदोलनकारियों की मांग है कि झूठे मुकदमे वापस हो। हिरण शिकार के वांछित दोनों मुलजिम गिरफ्तार हो। डीएफओ रेंजर और थाना अधिकारी छतरगढ़ को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड किया जाए। इनकी विभागीय जांच भी खोली जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से बॉर्डर एरिया में सुरक्षा की चूक पर मुकदमा दर्ज कर छतरगढ़ प्रशासन की भूमिका की जांच की जाए। हम चाहते हैं कि तीनों शिकारियों के मोबाइल नंबर की टावर लोकेशन वह उनसे हुई वार्ता की पिछले 4 माह की डिटेल निकलवा कर जांच में रिकार्ड सम्मिलित किया जावे।
बीकानेर कलेक्ट्रेट के धरना स्थल के मंच से संघर्ष समिति के प्रवक्ता शिव राज विश्नोई ने बताया गया कि वन महाजन फील्ड फायरिंग रेंज भारतीय सेना के प्रतिबंधित क्षेत्र में हथियारों से लैस होकर शिकारियों ने हिरण का शिकार किया उस फील्ड फायरिंग रेंज में आयुध के कबाड़ इकट्ठा करने वाले ठेकेदार का ड्राइवर ने बंदूक के फायर के ऊपर अपनी गाड़ी से पीछा कर एक मोटरसाइकिल पर तीन शिकारियों को ललकारा शिकारी की मोटरसाइकिल गिरने से वह भागने मेंअसफल रहा दो शिकारी बंदूक लेकर हमारे कार्यकर्ता पर दो फायर करते हुए भाग गए शिकारी से मौके पर 21 कारतूस देसी बम एक मृत हिरण बरामद कर वन विभाग को सुपुर्द किया वन विभाग ने हमारे कार्यकर्ता द्वारा दिए गए बयान में लिखित सूचना को वह मौका रिपोर्ट पद पर ना हस्ताक्षर करवाए ना उनको गवाह बनाया गया। घटना को 2 महीने बीत जाने के बाद भी दोनों मुलजिम आज भी फरार है हिरण की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बोर्ड ने बताया कि हिरण की मौत तीन गोलियां लगने से हुई है। मौके पर 21 कारतूस बरामद किए गए अब तक शिकारियों के विरुद्ध आर्म्स एक्ट के तहत वन विभाग ने पुलिस में मुकदमा दर्ज नहीं करवाया ना ही अपने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर इस संबंध में अवगत करवाया। इसलिए हमारी मांग है कि वन विभाग के रेंजर व डीएफओ दोनों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस मामले को रफा-दफा करने के लिए 2 महीने से लगातार कार्यकर्ताओं को झूठी सूचनाएं दे रहे हैं इसलिए इनको सस्पेंड किया जाए।
घटना के तुरंत बाद हमारे कार्यकर्ता ने छतरगढ़ थाना जाकर एसएचओ को लिखित सूचना दी कि शिकारियों ने अपने बंदूक से हमारे ऊपर दो फायर किए हैं हमने जैसे तैसे जान बचाई है उनके विरुद्ध आर्म्स एक्ट सहित 307 की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए तो छतरगढ़ थाना अधिकारी ने यह कहते हुए टरका दिया कि हमारा यह क्षेत्र अधिकार नहीं है आप महाजन जाए दूसरी ओर शिकारियों की तरफ से एक एप्लीकेशन लेकर इसी घटना का मुकदमा छतरगढ़ में जातिसूचक गाली देना और 3 sc-st का दर्ज करवा दिया है। इसको लेकर हमारे कार्यकर्ताओं पर लगातार गिरफ्तारी का प्रेशर बनाया जा रहा है। शिकारी को हम जानते नहीं कि वह किस जाति का था तो हमने गालियां कैसे दी और छतरगढ़ घटना में गाली और गोली एक ही स्थान से चली फिर हमारा मुकदमा महाजन में करवाना और शिकारियों का मुकदमा छतरगढ़ में करवाने के पीछे क्या मंशा थी हम चाहते हैं कि छतरगढ़ थाना अधिकारी को भी सस्पेंड किया जाए।
संभागीय आयुक्त डा नीरज के. पवन, आईजी ओम प्रकाश को इस पूरे प्रकरण में अभी पहलुओं को लेकर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। धरना स्थल के लोगों की बातों और आक्रोश के गहरे मायने हैं। विधानसभा सत्र नजदीक है। सरकार को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक की भूमिका के चलते तो धरना स्थल पर वक्ताओं ने जो कुछ कहा वे प्रशासन की निष्पक्षता और कुशलता पर सवाल ही है।