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बीकानेर, तहरीक ऐ उर्दू राजस्थान के संरक्षक पीसीसी सदस्य पूर्व महापौर न्यास अध्यक्ष हाजी मकसूद अहमद और जिला अध्यक्ष शमशुद्दीन सुलेमानी के सयुक्त तत्वावधान में शिक्षा मंत्री डॉ.बी,डी कल्ला को उनके बीकानेर स्थिति आवास पर प्रतिनिथि मंडल ने ज्ञापन देकर उर्दू की समस्याओं के समाधान की मांग की।

शमशुद्दीन सुलेमानी ने बताया कि निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर ने 20 सितंबर 2022 को एक अतिआवश्यक आदेश समस्त जिला शिक्षा अधिकारी राजस्थान के नाम निकाला जिसमे *सामान्य पदों के विरुद्ध पदस्थापित उर्दू शिक्षकों को कार्यमुक्त करते हुए मूल उर्दू विषय वाले विद्यालय में पदस्थापन करने के संबन्ध में था।*(आदेश प्रति सलंग्न) लेकिन अभी तक किसी भी जिला शिक्षा अधिकारी ने इसकी पालना नहीं की, इस कारण हजारों लेवल 2 के अध्यापक लेवल 1 पर लगे हुए है तथा उर्दू की जगह अन्य सामान्य विषय पढ़ा रहे है। जिससे सैकड़ों स्कूलों में उर्दू के बच्चे होते हुए भी पद रिक्त है।

राजस्थान में कुल 66103 विद्यालय में से 1305 विद्यालय में उर्दू विषय संचालित है जबकि 11828 विद्यालयों में अल्पसंख्यक मुस्लिम नामांकन है।
बीकानेर ग्रामीण खाजूवाला, लूणकरणसर,डूंगरगढ़, कोलायत, जामसर,मोतीगढ,नुरसर, केला,जामसर, खरबारा,RD 860,हुसंगसर सहित मुस्लिम बहुल इलाकों में जहां उर्दू पढ़ने वाले बच्चों का नामांकन 50 से ज्यादा है लेकिन उर्दू पद रिक्त है।
बीकानेर शहर में पाबू पाठशाला,प्रतापबस्ती, भगवानपुरा,सिटी स्कूल,कर्मीसर, तेलीवाड़ा, गुजरो का मोहल्ला, शिववाड़ी सहित सैकड़ों ऐसी स्कूल है जो मुस्लिम बहुल है और उर्दू पढ़ने वाले बच्चे भी ।
पहले राज्य में 40 ऐसे प्राथमिक विद्यालय थे जहां पढ़ाई का माध्यम ही उर्दू था। जिसे पूर्व बीजेपी सरकार ने बंद कर दिया था।अब उर्दू माध्यम के सिर्फ 6 ही विद्यालय है जिनमे 3 जयपुर और 3 अजमेर जिले में है ।
*शिक्षा का अधिकार कानून 2009 की धारा (2) एफ तथा अनुच्छेद – 350 (अ) में कहा गया है कि सेक्षणिक माहौल व पाठयक्रम और मूल्यांकन प्रकिर्या को बनाते समय जहां तक व्यवहारिक है बच्चे की मातृ भाषा का ध्यान रखा जाय।*

माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के साथ -साथ प्राथमिक शिक्षा क्लास 5 वी बोर्ड में भी उर्दू के साथ भेदभाव किया जा रहा है। पूर्व में 5 वी में उर्दू, संस्कृत की पढ़ाई होती थी लेकिन इसे बंद कर दिया गया। गत 5वी बोर्ड परीक्षा में संगठन द्वारा विरोध के बाद बोर्ड परीक्षा में उर्दू विषय जोड़ा गया था। लेकिन वर्तमान में आवेदन के समय उर्दू विषय का ऑप्शन ही खत्म कर दिया गया।
स्कूल,सरकारी पंजीकृत मदरसों,महाविधायलो सब जगह उर्दू भाषा के साथ भेदभाव हो रहा है। जबकि ये भाषा किसी एक धर्म वर्ग की भाषा नही है। उर्दू की इफ्तिदाह (शुरुआत) भारत से ही हुई है। ये कोई विदेशी भाषा नही है।
सत्र पूरा होने वाला है वार्षिक परीक्षाएं नज़दीक है लेकिन राजस्थान की 40 % से ज्यादा स्कूलों में उर्दू की पाठ्य पुस्तकें ही पूरी नहीं पहुंची है।

अल्पसंख्यक वर्ग ने हमेशा कांग्रेस को शत प्रतिशत मत दिया है और कांग्रेस सरकार से उपेक्षा रखता है की वोह अल्पसंख्यक के हितों की रक्षा करेगी।
संगठन सरकार से मांग करता है की उन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाए जो निदेशक और सरकार के आदेश की पालना नहीं कर रहे हैं ।

9 वर्ष पहले कांग्रेस सरकार ने मदरसा शिक्षा सहायक और मदरसा कंप्यूटर शिक्षक की भर्ती निकाली थी ।

मदरसा उर्दू शिक्षा सहयोगी की कुल 3326 पदों में से कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी के माध्यम से चयन कर दो अलग अलग चरणों में 2587 पदों पर नियुक्ति दी जबकि तीसरे चरण की काउंसलिंग ही नहीं की गई । 739 पद अब भी खाली है

मदरसा उर्दू शिक्षा सहयोगी भर्ती 2013
कुल पद – 3326
आवेदन 14859
फीस प्रति आवेदन 300 रुपए
4457700 रुपए सरकार ने बेरोजगारों से रोजगार के नाम पर ले रखे है। लेकिन अफसोस
सरकार ने अब तक ना भर्ती प्रक्रिया पूरी की और ना फीस वापस की।
शिक्षा मंत्री ने ज्ञापन प्राप्त कर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।

प्रतिनिधि मंडल में पीसीसी सदस्य हाजी मकसूद अहमद, शमशुद्दीन सुलेमानी, रियाज़ सुलेमानी, अनवर अजमेरी सकील अहमद, मोहम्मद साजिद, एडवोकेट अब्दुल रहमान, उस्मान सिसोदिया, इस्माइल खिलजी, रिजवान अली ,सलीम पठान, आरिफ कादरी आदि उपस्थित रहे।

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