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बीकानेर/ भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्‍द्र द्वारा विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर राजभाषा कार्यशाला का आयोजन किया गया। दीप प्रज्वलन के साथ प्रारम्भ हुई इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में कवि-कथाकार श्री राजेन्द्र जोशी, वरिष्ठ साहित्यकार, बीकानेर ने ‘‘हिन्दी भाषा : वैश्विक परिदृश्य में’ विषयक अपने व्याख्यान में कहा कि भाषा संस्कृति को लेकर आगे बढ़ती है और यदि भारतीयता की बात की जाए तो यहां का व्यक्ति विश्व में कहीं पर भी जाएगा तो उसके साथ प्रांतीय भाषाओं के साथ हिन्दी भाषा अवश्य साथ जाती है बात की जाए तो यहां का व्यक्ति विश्व में कहीं पर भी जाएगा तो उसके साथ प्रांतीय भाषाओं के साथ हिन्दी भाषा अवश्य साथ जाती है तभी विश्व के अनेकानेक देशों में हिन्दी निरंतर फल-फूल रही है। उन्होंने भाषा को गर्व के साथ अपनाने की बात कही। श्री जोशी ने समय के साथ भाषा बदलाव की बात करते हुए कहा कि हिन्दी की शब्द संपदा समृद्ध है, इसमें एक ही शब्द के अनेक पर्यायवाची शब्द उपलब्ध है तथा उनके वाक्यों में प्रयोग भी भिन्न-भिन्न स्वरूपों में होते हैं। अतिथि वक्ता ने हिन्दी भाषा के इतिहास, व्‍याकरण, हिन्दी के वैश्विक प्रसार, जन जीवन के साथ हिन्दी भाषा के जुड़ाव के अलावा केन्द्र के कार्यक्षेत्र- ‘ऊँट’ एवं परंपरागत रीति-रिवाजों के संबंध में भी अपने विचार रखें।
केन्द्र निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.आर्तबन्‍धु साहू ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व हिन्दी दिवस का मुख्य प्रयोजन यह रहा कि हम, देश के भीतर तो हिन्दी भाषा में बात करते हैं परंतु विश्व स्तर पर भी इसमें संवाद स्थापित किया जाना चाहिए ताकि भाषा प्रचार-प्रसार हो सके। डॉ.साहू ने कहा कि यह सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली विश्व की तीसरी बड़ी भाषा है, यह समृद्ध भाषा है, अत: इसे बढ़ावा दिया जाना हम सभी का नैतिक दायित्व हैं । इस दौरान डॉ.साहू ने संस्थान की राजभाषा कार्यों एवं गतिविधियों पर प्रकाश डाला तथा ऊँटों के विविध पहलुओं पर राजभाषा पत्रिका ‘करभ’ एवं हिन्दी में प्रकाशित वैज्ञानिक साहित्य की जानकारी दी साथ ही यह मंशा जताई कि साहित्य विधा से जुड़े विद्वानों से ऊँटों संबंधी विविध विषय वर्गीय साहित्यिक जानकारी का संकलन किया जाए ताकि अधिकाधिक लोग ऊँट एवं इसकी विशेषताओं को जान सकें। उन्होंने संस्थान की ‘ ऊँट इको-टूरिज्म’ अवधारणा पर भी अपनी बात रखीं।
केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.राजेश कुमार सावल ने राजभाषा कार्यशाला के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए वैश्विक परिदृश्य में हिन्दी के बढ़ते कदम संबंधी अपने विचार रखे।

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