बीकानेर के पास नाल गांव। यहां इन दिनों एक जापानी लड़की को देख लोग हैरान हो रहे हैं। पिछले एक महीने से टोक्यो (जापान) की ये लड़की दिनभर गांव में ऊंटों के बीच रह रही है। राधा-कृष्ण से इतना प्रेम है कि कैमल फेस्टिवल के लिए अपने ऊंट को सजाते हुए उनकी ही आर्ट को उकेरा है।
एक महीने से यहीं के गांव में रहते हुए ही मैगुमी उर्फ मेगी (28) राजस्थानी फूड का भी आनंद ले रही हैं। उन्हें बाजरे की रोटी और गुड के साथ लंच करना काफी पसंद है। यहां के कल्चर में ऐसे रंग गई हैं जैसे यहां सालों से रह रही हों। मैगुमी से अपने इस जुनून के बारे में बात की, साथ ही कैमल फेस्टिवल को लेकर क्या खास तैयारी है यह भी जाना ।
मैगुमी बीकानेर एयरफोर्स स्टेशन के पास रह रही हैं। जो अपने सहयोगियों के साथ ऊंट का ‘हेयर कट’ कर रही हैं। ये कोई सामान्य हेयर कट नहीं है। हेयर कट से ऊंट के शरीर पर तरह-तरह की आर्ट बनाती है। ये आर्ट इसलिए खास है, क्योंकि मैगुमी भारतीय परंपराओं से जुड़े चित्र ऊंट पर बनाती हैं।
10 साल से इंडिया घूमने आ रहीं इंडिया
मैगुमी करीब दस साल पहले भारत घूमने आई थीं। इस दौरान बीकानेर यात्रा में कैमल फेस्टिवल देखा था। पहली बार ऊंट और उनकी बॉडी पर बनी कलाकारी देखकर मैगुमी इतनी रोमांचित हुई कि इसके बाद हर कैमल फेस्टिवल देखने के लिए आने लगीं। कोरोना के चलते तीन साल से ना कैमल फेस्टिवल हुआ और न मैगुमी भारत आईं, लेकिन इस बार जैसे ही उन्हें कैमल फेस्टिवल की जानकारी मिली, वो फिर बीकानेर आ पहुंचीं।
खुद ही सीखी ये अनूठी आर्ट
मै कहती है कि वह आर्ट की शौकीन हैं। जब ऊंटों की बॉडी पर हेयर कटिंग से बनी आर्ट देखी तो ऐसा करने का ठान लिया। आमतौर पर कैमल फेस्टिवल से कुछ दिन पहले आने वाली मैगुमी इस बार एक महीने पहले ही पहुंच गईं। अपने दोस्त संजय इणखियां को फोन करके एक ऊंट की व्यवस्था करने के लिए बोल दिया। नाल गांव में संजय ने उनके लिए ऊंट की व्यवस्था की। अब मैगुमी और उनके दो साथी यहीं पर रहते हैं। मैगुमी दिनभर ऊंट पर कतरन करके कई तरह की आर्ट बनाती हैं। दो लोग मैगुमी की इस आर्ट की वीडियोग्राफी करते हैं। खास बात ये है कि मैगुमी को ये कला किसी ने सिखाई नहीं है, बल्कि अन्य कलाकारों को देखकर ही सीख लिया। अब वो इस कला में माहिर हो चुकी हैं।
चार दिन पहले तैयार है ऊंट
कैमल फेस्टिवल 13 जनवरी से शुरू होगा, लेकिन मैगुमी ने ऊंट को चार दिन पहले ही तैयार कर लिया है। उसने ऊंट के एक तरफ राजस्थानी युवती को नृत्य करते हुए दिखाया है। दूसरी तरफ कृष्ण और राधा को दिखाया है। ऊंट की कूबड़ पर भी राजस्थानी लोक कला को उकेरा है। इतना ही नहीं एक पैर पर ‘कैमल फेस्टिवल’ लिखा है। दूसरी तरफ ‘म्हारो प्यारो बीकाणो’ भी लिखा है।
राजस्थानी भोजन की दिवानी
बीकानेर में ऊंट उत्सव के साथ राजस्थानी भोजन की दिवानी हैं। वह बताती हैं कि बाजरी की रोटी, सरसों का साग और गुड़ उनकी पसंद बन गए हैं। यहां तक कि उसे अब गुलगुले भी बहुत पसंद है। पिछले एक महीने से नाल गांव में रहते हुए वह ग्रामीण भोजन ही कर रही हैं।