बीकानेर,शिवबाड़ी चौराहा स्थित संस्कार सदन में सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं समाजसेवी स्व.नारायणसिंहजी गाडण की पच्चीसवीं पुण्यतिथि पर विशाल राजस्थानी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री करणी मंदिर निजि प्रन्यास के अध्यक्ष श्री बादलसिंह देपावत ने की तथा कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष एवं कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी थे। सुरेंद्रसिंह बारहठ आईआरपीएस मुख्य अतिथि रहे। मंच पर डिंगल कवि गिरधरदान रतनू, प्रियका देपावत, मंडलीय चारण सभा के अध्यक्ष भंवर दान देपावत उपस्थित हुए।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आगुंतकों का स्वागत शुभमसिंह गाडण ने करते हुए श्री गाडण की स्मृति में आयोजित होने वाले आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। अतिथियों ने स्व. गाडण के तेलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पण की तथा कवयित्री मनीषा आर्य सोनी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की । विशिष्ट अतिथि श्रीमती प्रियंका चारण ने स्व.नारायणसिंहजी गाडण के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मातृशक्ति की भूमिका महनीय होनी चाहिए।समाज वो ही आगे बढ़ता है जिसमें महिलाएं पुरुषों की प्रतिस्पर्धा में नहीं चलकर उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलती हैं।
कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने अपने उद्बोधन में राजस्थानी भाषा को मान्यता का आव्हान सीधा जनता द्वारा दोनों सरकारों को एक चिंतनशील चेतावनी थी , जोशी ने राजस्थानी के हैताळवौ को विश्वास दिलाया की हमारी राजस्थानी भाषा को मान्यता अवश्य मिलेगी। जोशी ने कहा कि हमें निराश होने की जरूरत नहीं है। जोशी ने कहा कि नारायण सिंह गाडण ने शिक्षा के प्रति जो अलख अपने जीवनकाल में प्रज्वलित की उस प्रकाश को वर्तमान तक इनका परिवार एवं शुभचिंतक आहुति देकर संपन्न कर रहे है।
मुख्य अतिथि सुरेंद्र सिंह बारहठ ने संबोधित करते हुए नारायण सिंह गाडण के कृतित्व पर प्रकाश डाला।
डिंगल कवि गिरधरदान रतनू दासोड़ी एवं मंडलीय चारण सभा बीकानेर के अध्यक्ष भंवरदान देपावत ने अपनी विचाराभिव्यक्ति एवं काव्यपाठ करते हुए कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की।
कवि सम्मेलन में वरिष्ठ राजस्थानी कवि शंकरसिंह राजपुरोहित,जगदीश रतनू,सुरेश सोनी,राजेंद्र स्वर्णकार, महिपालसिंह हिलोड़ी लीलाधर सोनी,इला पारीक,बलवंतसिंह पालावत ,शक्तिप्रसन्न बीठू
,डॉ.जगदीशदान बारहठ,मनोज गाडण एवं वली गौरी ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं की प्रस्तुतियां देते हुए बखूबी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया और बहुत संयत होकर अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंच और कवियों से जोडे़ रखा। अंत में
धन्यवाद ज्ञापित चारण नारायणसिंह गाडण ट्रस्ट देशनोक के अध्यक्ष गिरीश हिंदूस्तानी ने ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का प्रभावीशाली संचालन युवाकवि छैलू चारण छैल ने किया।