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बीकानेर.राज्य सरकार के 4 साल के कार्यकाल को सरकार और सरकार के मंत्री बेहतर बता रहे हैं. आमजन के लिए कई योजनाओं को लाने की बात भी कह रहे हैं. गुड गवर्नेंस की बात कहने वाली राज्य सरकार आम आदमी को ज्यादा से ज्यादा योजनाओं का लाभ देने के लिए धरातल पर काम करने का दावा कर रही है, लेकिन बीकानेर जिले में इन योजनाओं को धरातल पर लाने की जिम्मेदारी वाले अधिकारियों का टोटा नजर आ रहा है. ऐसी स्थिति तब है जब प्रदेश की सरकार में बीकानेर से तीनों कांग्रेसी विधायक मंत्री हैं. आयोग और बोर्डों में भी बीकानेर जिले से 4 अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं.

दरअसल, सरकार और जनता के बीच की कड़ी अधिकारी होता है. सरकार की योजनाओं को धरातल पर लाने की जिम्मेदारी भी विभिन्न विभागों के अधिकारियों की होती है, लेकिन जब विभाग ही बिना अधिकारी के चल रहा हो तो आम जनता का काम अटकना स्वाभाविक है. कुछ ऐसे ही हालात है बीकानेर जिले में. सरकार में सबसे ज्यादा मंत्री वाला जिला बीकानेर कई समस्याओं से दो-चार हो रहा है. जिले से कांग्रेस के तीन विधायक बी. डी. कल्ला, गोविंद मेघवाल और भंवर सिंह भाटी प्रदेश सरकार में मंत्री हैं. वहीं, रामेश्वर डूडी, लक्ष्मण कड़वासरा, महेंद्र गहलोत और मदन गोपाल मेघवाल आयोग और बोर्ड में अध्यक्ष हैं. बावजूद इसके, बीकानेर जिला में अधिकारियों का टोटा है.जनता से जुड़े विभागों में भी पद खाली : जिले में अतिरिक्त जिला कलेक्टर, शहर सचिव, नगर विकास न्यास आयुक्त, नगर निगम जैसे जनता से जुड़े महत्वपूर्ण विभागों के मुखिया जैसे पदों पर भी कार्य व्यवस्था हेतु दूसरे अधिकारियों को जिम्मा दिया हुआ है. उपनिवेशन और सिंचित क्षेत्र विकास में उपायुक्त के पद रिक्त हैं तो वहीं जिले में 4 में से 2 विश्वविद्यालय तकनीकी विश्वविद्यालय और वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलसचिव का पद भी रिक्त है. छतरगढ़ और लूणकनसर में एसडीएम की जिम्मेदारी ट्रेनिंग कर रहे अधिकारियों को दी हुई है. वहीं, एडीएम सिटी का पद पिछले 8 माह से खाली पड़ा है. जिला रसद अधिकारी पंकज शर्मा को एडीएम सिटी का चार्ज दिया हुआ है.

एक अधिकारी के पास चार पदों की जिम्मेदारी : बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलसचिव अरुण प्रकाश शर्मा के पास पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार का अतिरिक्त कार्यभार है और पिछले महीने निलंबित किए गए बीकानेर नगर निगम आयुक्त गोपालराम बिरदा की जगह सरकार ने अन्य अधिकारी को नहीं लगाया. अरुण प्रकाश शर्मा को कलेक्टर ने निगम आयुक्त का भी चार्ज दिया है और अब शर्मा के पास चार पदों की जिम्मेदारी है. जबकि नगर निगम आयुक्त फुल टाइम अधिकारी होना बहुत जरूरी है. क्योंकि नगर निगम आम जनता से सीधा जुड़ा होता है और जनता के सीधे काम होते हैं. इनमें प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत पट्टे बनाए जाने का काम महत्वपूर्ण है.

यूआईटी सचिव का पद रिक्त : नगर निगम के साथ ही बीकानेर नगर विकास न्यास के सचिव का पद भी पिछले करीब 6 महीने से खाली पड़ा है. यहां कार्यरत नरेंद्र पुरोहित को सरकार ने जुलाई में एपीओ कर दिया था और तब से कार्य व्यवस्था के तौर पर दूसरे अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है. वर्तमान में पंजीयन विभाग के डीआईजी यशपाल आहूजा को अतिरिक्त कार्यभार दिया हुआ है.

जनता के काम बाधित : हालांकि, इन सभी रिक्त पदों पर अन्य अधिकारियों को अपने काम के अलावा दूसरी जिम्मेदारी भी दी हुई है. ऐसे में जिन विभागों में पहले से ही जनता से जुड़े हुए कामों की लंबी फेहरिस्त रहती है, वहां लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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