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बीकानेर गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा आज 25 वें दिन गारबदेसर, कुबिया, नकोदेसर, चाँदसर, राँवासर, कालू, सहजरासर बास, सहजरासर गांव, कुजटी, खारी आदि गांवों में 5 जनवरी की सभा मे पहुंचने का निमन्त्रण देते हुए अंतिम गांव खारड़ा पहुँची। यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने खारड़ा गांव में सम्बोधित करते हुए कहा कि गाय नैतिकता की प्रतीक है।जिस दिन से गाय लोगों ने लावारिस सडको पर छोड़ा है उसी दिन से समाज में नैतिकता का पतन शुरु हो गया हैं।गुरु और शिष्य के रिस्तों में भी दुरियां बढनी शुरु हो गई है।समाज में वृद्धों का भी सम्मान घट गया है।समाज को पुनः गाय को अपनी ईष्ट देवी की जगह पुनः स्थापित करने से ही नैतिकता कायम रह सकती है।
प्रदेश संयोजक गोस्वामी ने कहा कि बिकानेर जिले के गांवो की अर्थव्यवस्था की रीढ गाय पालन है।लंपी महामारी ने हजारों गायों को काल का ग्रास बना लिया, जिससे गोपालको की कमर टूट गई।यह सदियों की सबसे गोआपदा बन गयी है, फिर भी सरकार गोपालको पर कोई सहायता या सहानुभूति नहीं दिखाई है।पक्ष और विपक्ष दोनोें ने ही गायों और गोपालको के हित में कोई रुचि नहीं दिखाई है।इस गोपालको और गौसेवि संगठनों में भारि आक्रोश है।
आयोजक विनोद आर्य ने बताया की लंपी महामारी का मुआवजा और गौशाला की तर्ज पर गोपालको को सीधा अनुदान मिले आदि मांगो के लिए 5 जनवरी को बडी संख्या में गोपालक लूनकरणसर पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम साहब को ज्ञापन देंगे।

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