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बीकानेर,कोरोना ने कई बहनों से उनके भाइयों को तो कई भाईयो से उनकी बहनों को छीन लिया है। ऐसे में इस बार रक्षाबंधन पर कई भाई की कलाई पर बहन का प्यार नहीं सजेगा, जबकि टीका के लिए बहन को भाई का ललाट नहीं मिलेगा। भाई से मिले प्यार को याद करके बहनें फफक पड़ती हैं। अब उनके साथ उनकी यादें भर रह गई हैं। फोटो एलबम, मोबाइल में सहेजी तस्वीर को देखकर आंखो से सिर्फ आंसू ही निकल रहे हैं ।

https://youtu.be/KnJH1BlP6mo

जैसे-जैसे तस्वीर आंखों से गुजरती जाती हैं, वैसे-वैसे आंखों से आंसू बहने शुरू हो जाते हैं। अब सिर्फ उनके पास यादें शेष हैं। रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर ऐसे ही कुछ भाइयों और बहनों ने अपने दर्द व यादों को साझा किया। सुनीता अपने भाई सुनील को याद करते हुए कहती है की मुझे दिल की बीमारी थी भाई ने कई किलोमीटर दूर पैदल जाकर मेरी जिंदगी के लिए दुआ मांगी कि मैं ठीक हो जाऊ क्या पता था कि कोरोना उसे हमसे छीन लेगा। अब वह कलाई नहीं है, जिस पर राखी बांधती थीं। वह इकलौता भाई था। , इस रक्षाबंधन पर राखी तो है लेकिन भाई की कलाई नहीं है।अब किसको राखी बांधूंगी

वहीं दूसरी ओर गोपाल को याद करते हुए उसकी बहन यमुना रुंधे गले से कहती है कि मेरे भाई को रक्षाबंधन का इंतजार रहता था। वह कहता था कि दीदी आएंगी तो उसकी कलाई पर उनका प्यार और आशीर्वाद सजेगा। भाई के दुनिया से यूं चले जाने से परिवार टूट गया है। भाई बहन के इस त्योहार पर अब ये बहने कोरोना के चलते अपने भाई को खोने का दर्द इन बहनों की आंखों मैं साफ देखा जा सकता है।

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