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बीकानेर,कोविडकाल में मेडिकल यूजी में शामिल होने वाले अधिकांश चिकित्सक समय की कमी का सामना कर रहे हैं। सत्र देर से शुरू होने के कारण उन्हें कम समय में अधिक पाठ्यक्रम पढ़ना पड़ता है।वर्ष 2021 फरवरी में आए छात्रों ने जनवरी 2022 में प्रथम वर्ष की परीक्षा दी और दिसंबर 2022 में वे द्वितीय वर्ष की फाइनल परीक्षा दे रहे हैं। यानी ढाई साल यानी 30 महीने में जो कोर्स और परीक्षा होनी थी, वो 22 महीने में पूरी हो गई. इसी तरह मार्च 2022 में दाखिला लेने वाले छात्रों को जनवरी 2023 में प्रथम वर्ष की परीक्षा देनी है। यानी उन्हें परीक्षा देने के लिए सिर्फ 10 महीने का समय मिलेगा।

हालांकि यह सब एनएमसी के निर्देश पर हो रहा है ताकि कोविड काल में एमबीबीएस के अव्यवस्थित शेड्यूल को वापस लाया जा सके, लेकिन पढ़ाई की इस भागदौड़ ने न केवल मेडिकोज के खेलने-कूदने बल्कि खाने-पीने का भी समय छीन लिया है. अगर किसी ने एक-दो दिन की छुट्टी ली है तो छूटे हुए कोर्स की भरपाई के लिए यूट्यूब ही एकमात्र सहारा बचा है। इस पर फैकल्टी की कमी ने कोढ़ में खुजली का काम किया।

बीच-बीच में एनएमसी के निरीक्षण को देख बड़ी संख्या में शिक्षकों को कॉलेज से दूसरी जगह भेजा गया. ऐसे में भले ही कोर्स पूरा हो गया, लेकिन पढ़ाई प्रभावित होने से तनाव काफी बढ़ गया। ऐसे में चिंता इस बात की भी है कि एमबीबीएस प्रथम-द्वितीय वर्ष की परीक्षाएं किसी तरह पास हो जाएंगी, लेकिन यह सीखने का अंतर डिग्री की पात्रता के लिए “अगली” परीक्षा के परिणाम को प्रभावित नहीं कर सकता है, जो अगले वर्ष से लागू होगा। होने जा रहा है।

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