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बीकानेर,सरकार ने सभी दवा, टीका फैक्टरियों में फार्माकोविजिलेंस सिस्टम स्थापित करने पर जोर दिया है। नई दवाएं व नैदानिक परीक्षण 2019 अधिनियम के तहत प्रत्येक दवा निर्माता कंपनी को अपने यहां फार्माकोविजिलेंस सिस्टम शुरू करना है, जिसमें एक मेडिकल ऑफिसर और फार्मासिस्ट रहेगा।

ये हर माह अपने उत्पादों की सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जानकारी एकत्रित कर सरकार के साथ साझा करेंगे। इनकी रिपोर्ट पर सरकार ऑडिट कराएगी और जांच में दोषी मिलने पर उक्त कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। देश में मौजूदा समय में 4,500 से अधिक दवा व टीका निर्माता कंपनियां हैं, जिनकी 10,500 से अधिक फैक्टरियां मौजूद हैं।

23 दिसंबर को भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ. वीजी सोमानी ने दवा, टीका निर्माता और निर्यातक कंपनियों को आदेश जारी करते हुए फार्माकोविजिलेंस सिस्टम के बारे में जानकारी मांगी है। उन्होंने आदेश में कहा है कि फार्माकोविजिलेंस सिस्टम स्थापित करने की एक समरी जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाए। साथ ही जो अधिकारी, मेडिकल ऑफिसर और फार्मासिस्ट इसमें शामिल हैं उनके नाम, पहचान, संपर्क साझा किए जाएं, ताकि भविष्य में दवा सुरक्षा को लेकर इनसे जानकारी प्राप्त की जा सके।

4500 से अधिक दवा व टीका निर्माता कंपनियां हैं, मौजूदा समय में देश में

  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नई दवाएं और नैदानिक परीक्षण 2019 अधिनियम के तहत सभी दवा-टीका कंपनियों में फार्माकोविजिलेंस स्थापित करने के लिए कहा है। नए आदेशानुसार, कंपनियों को फार्माकोविजिलेंस शुरू करने के साथ-साथ उसकी जानकारी सरकार के साथ साझा करने के निर्देश भी दिए हैं।

इसलिए जरूरी है यह सिस्टम

  • जेनेरिक दवाएं, ओवर-द-काउंटर दवाएं, थोक दवाएं, टीके, अनुबंध अनुसंधान और विनिर्माण, बायोसिमिलर और बायोलॉजिक्स भारतीय फार्मा उद्योग के कुछ प्रमुख खंड हैं।
  • भारत में सबसे अधिक संख्या में फार्मास्युटिकल निर्माण सुविधाएं हैं जो यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) के अनुपालन में हैं। 500 एपीआई उत्पादक हैं जो दुनियाभर में एपीआई बाजार का लगभग 8 फीसदी हिस्सा है।
  • भारतीय दवा क्षेत्र विभिन्न टीकों के लिए वैश्विक मांग का 50 फीसदी से अधिक, अमेरिका में 40 फीसदी सामान्य मांग और यूके में सभी दवाओं का 25 फीसदी आपूर्ति करता है।
  • वर्तमान में एड्स से निपटने के लिए विश्व स्तर पर उपयोग की जाने वाली 80 फीसदी से अधिक एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं की आपूर्ति भारतीय दवा फर्मों द्वारा की जाती है।

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