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बीकानेर,देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर डटे बीएसएफ के जवानों को अब नए साथी मिल गए हैं। करीब दो सौ ऊंट भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किए जा रहे हैं, इससे पहले इन ऊंटों को बीएसएफ की महिला जवान इन दिनों इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल की तैयारी में लगी हुई है और ऊंटों को कड़ी ट्रेनिंग भी दी जा रही है। बीएसएफ के जवान और महिला ट्रेनर इन ऊंटों को रेत के धोरों पर दौड़ा रहे हैं, भारी भरकम हथियारों के साथ चलना सीखा रहे हैं।सीमा सुरक्षा बल के जवान दिनरात भारत-पाकिस्तान सीमा पर गश्त करते हैं। इस गश्त में ऊंट ही उनके साथ नजर आते हैं। एक ऊंट पर एक जवान सवार होकर पचास डिग्री सेल्सियस तापमान से शून्य से भी कम तापमान में रेत के धोरों में इधर से उधर चक्कर काटते हैं। ऊंट पर जवान के साथ हथियार भी होते हैं। एक ही दिशा में सधे हुए कदमों से ऊंटों को चलना पड़ता है। गश्त में उतारने से पहले ये ही ट्रेनिंग ऊंटों को दी जा रही है। डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस बार यह ऊंट बीकानेर के इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल में भी अपने करतब दिखाएंगे और पहली बार कैमल फेस्टिवल में बीएसएफ की महिला जवान भी इन ऊंटों पर अपना करतब दिखाएगी। इन ऊंटों को तीन महीने ट्रेनिंग दी जाएगी। इस दौरान उन्हें हैंडलर के इशारों पर चलना, बैठना और दौडऩा सिखाया जाता है। बीएसएफ में कैमल ट्रेनर गिरधारी और हरचंद सिंह पिछले करीब 16 साल से ऊंटों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। इन ऊंटों को 20 साल की उम्र तक सेवा में रखा जाता है।

अर्से बाद हुई ऊंटों की खरीद
दरअसल, पिछले आठ साल से बीएसएफ ने ऊंट नहीं खरीदे थे। इस बीच बड़ी संख्या में ऊंटों की मौत भी हुई। ऐसे में केंद्र सरकार से स्वीकृति के बाद एक साथ दो सौ ऊंटों की खरीद हुई है। ये ऊंट बीकानेर और श्रीगंगानगर क्षेत्र में लगातार गश्त करेंगे।

हर जिले से खरीदे ऊंट
बीएसएफ ने गश्त के लिए देशी नस्ल के ऊंट खरीदने के लिए पश्चिमी राजस्थान के लगभग हर जिले में अपनी टीम भेजी थी। जैसलमेर, जोधपुर, जालौर, बीकानेर सहित कई जिलों से अच्छी नस्ल के स्वस्थ ऊंट खरीदे गए।बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ खुद कई जिलों में पहुंचे और वहां ऊंटों को देखा।

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