बीकानेर,भारतीय सेना की पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 में हुई जंगों की कई कहानियां लोकप्रिय हैं। पूरी जंग में कई जगहों पर भारत ने आसानी से जीत हासिल की। पर कुछ जगहें ऐसी भी थीं, जहां पाकिस्तानी सैनिक शुरुआत में भारत पर भारी पड़ रहे थे। लेकिन बाद में जब भारत ने हमलावर रुख अपनाया तो दुश्मन सेना को उल्टे पांव भागना पड़ा। ऐसी ही कहानी भारतीय सैनिकों के राजस्थान के सांचू में सैन्य पोस्ट बचाने की रही है। बीएसएफ अब इस पोस्ट को टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने जा रहा है।
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इंटरनेशनल बॉर्डर देखने के लिए जैसलमेर के तनोट और श्रीगंगानगर के हिंदुमलकोट के बाद बीकानेर का सांचू पोस्ट तैयार हो रहा है। पाकिस्तान से सटी राजस्थान की पश्चिमी सीमा पर बीकानेर में बीएसएफ की सांचू पोस्ट अब टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने वाला है। दरअसल, सांचू पोस्ट पर छोटा वार म्यूजियम बनाया गया है। यहां भारत-पाक के बीच 1965 और 1971 में हुए युद्ध का वृतांत पत्थर पर गढ़ा गया है। एक बड़ा हॉल भी बनाया जाएगा, जिसमें युद्ध की डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएगी।
सांचू से फेंसिंग मात्र दो किमी दूर है। वहां व्यू पॉइंट बनाया जाएगा। इस पर वॉच टावर बनाया , जहां बीएसएफ के जवान तैनात रहेंगे। वीवर पॉइंट कांच का बनाया गया है। पर्यटक वहां बैठकर दूरबीन की मदद से बॉर्डर देख सकेंगे। उन्हें भारत-पाक सीमा रेखा (जीरो लाइन) नजर आएगी। पाकिस्तान की रनिहाल पोस्ट भी दिखाई देगी। बीएसएफ और राजस्थान टूरिज्म ने हिंदूमलकोट चौकी को आदर्श चौकी का दर्जा देकर विकसित कर रखा है। पर्यटकों को पाकिस्तानी क्षेत्र की झलक दिखाने के लिए विशेष तौर पर प्लेटफार्म बनाया गया है।भारत-पाक के बीच 1965 और 1971 का युद्ध इसी पोस्ट पर लड़ा गया था। 1965 युद्ध से पहले बीकानेर जिले के बॉर्डर बेल्ट में सांचू सबसे बड़ा गांव था। थर्ड आरएसी की चौकियां 25 किमी पीछे बरसलपुर-रणजीतपुरा गांव में तैनात थी। 1965 युद्ध के दौरान पाक सेना ने सांचू पर कब्जा कर लिया। तब 3 आरएसी और 13 ग्रेनेडियर के जवानों ने मिलकर चौकी फतह की थी। 1971 के युद्ध में सांचू पोस्ट से ही भारतीय सेना और बीएसएफ जवानों ने पाकिस्तान की रनिहाल, बीजनोठ और रुकनपुर पोस्ट कैप्चर की थी।
बाइट पुष्पेंद्र सिंह, डी जी बीएसएफ खाजूवाला।