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बीकानेर,ऊंट का नाम लेते ही दिमाग में जो तस्वीरें उभरती हैं वो हैं ऊंट सफारी, सामान ढोना, सीमा पर गश्त करना या कुछ बीमारियों में ऊंटनी के दूध का सेवन। जल्द ही इस कड़ी में ऊंट से मिलने वाली दवाओं और कॉस्मेटिक्स का नाम भी शामिल होने जा रहा है.इसके लिए अनुसंधान शुरू हो गया है, एक चरण का काम लगभग पूरा हो चुका है।

बीकानेर के नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर कैमल (NRCC) और कोलकाता के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल फाइबर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (NINFET) ने ऊंट के बालों में पाए जाने वाले केराटिन से मानव त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए शोध शुरू किया है। उसका है। NINFET ने ऊंट के बालों से केराटिन निकाला है। यह केराटिन अब एनआरसीसी को सौंप दिया जाएगा। एनआरसीसी इसका इस्तेमाल घाव भरने, बाल बढ़ाने, बाल झड़ने से रोकने, त्वचा रोग आदि के लिए करेगा। इसके लिए आधिकारिक अनुमति का इंतजार है। जानवरों पर प्रयोग सफल होने के बाद इसे इंसानों पर आजमाया जाएगा।

जानवरों के बाद इंसानों पर ट्रायल होगा
NINFET ऊंट के बालों से केराटिन नामक प्रोटीन निकालने के लिए जिम्मेदार होता है। यह काम हो गया है।
एनआरसीसी इस केराटिन का इस्तेमाल त्वचा की देखभाल, बालों के विकास और बालों के झड़ने की रोकथाम, जानवरों पर सबसे पहले घाव की सुरक्षा के लिए करेगा।

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