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बीकानेर,जीवन की रक्षा को निहितार्थ जीवन रक्षा हॉस्पिटल यथा नाम तथा गुण के उदाहरण को बीकानेर शहर के समक्ष कई बार प्रस्तुत कर चुका है और इस बार इस कड़ी में यह काम किया है जीवन रक्षा हॉस्पिटल के जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. बजरंग टाक ने। जिन्होंने डूंगरगढ़ की 12 वर्षीय एक बच्ची की अनोखी बीमारी का सफल इलाज कर उसे न केवल दर्दमुक्त ही किया बल्कि उसे रोगमुक्त भी किया।

डूंगरगढ़ की 12 वर्षीय बच्ची को बाल खाने की आदत थी और उसकी इस आदत ने एक दिन उसे एक खतरनाक बीमारी के मुहाने पर ला खड़ा किया जिसकी वजह से उसके पेट में दर्द रहने लगा और उसका पेट फूल कर बड़ा हो गया। बच्ची के परिजन सीधे बीकानेर के जीवन रक्षा अस्पताल में डॉ. बजरंग टाक से परामर्श लेने के लिए आए क्योंकि उनकी रिश्तेदारी में पहले भी लोगों ने डॉक्टर बजरंग टाक से रोगों का उचित समाधान प्राप्त किया था। इसलिए डॉ. टाक का सुयश सुनकर वे सीधे बीकानेर पहुंचे।

बीकानेर पहुंचने पर डॉ. बजरंग टाक ने प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन के तौर पर बच्ची का सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी करवाया जिससे पता चला कि बच्ची को ट्राइकोबेजोर नामक अनोखी बीमारी है। इस बीमारी के कारण बच्ची को बाल खाने की आदत लग गई है और परिणाम स्वरूप बालों के गुच्छे उसकी आंत में रुकावट पैदा करने लगे हैं। बच्ची को दर्द के साथ-साथ लगातार उल्टियां हो रही थी, वह मुंह से कुछ भी लेने में असमर्थ थी और उसका पेट भी फूल चुका था।

बिल्कुल सटीक डायग्नोसिस बनाने के बाद में डॉ. बजरंग टाक ने बच्ची की सर्जरी करने का फैसला किया जिसे लेप्रोटोमी कहा जाता है। 7 दिन पूर्व बच्ची की लेप्रोटोमी सर्जरी की गई जिससे उसकी आंतो में दो जगह से बालों के बड़े-बड़े गुच्छे निकाले गए जो कि रुकावट पैदा करके न केवल पेट को फुला रहे थे बल्कि उल्टियां और दर्द का सबब भी बन रहे थे। इस सफल ऑपरेशन के दौरान उसकी आंत में दो अलग-अलग जगह से बालों के गुच्छे निकाले गए और ऑपरेशन के पश्चात बच्ची अब स्वस्थ महसूस कर रही है जिसे आज घर के लिए छुट्टी दे दी जाएगी।

इस तरह की अनोखी मामले अक्सर देखने में नहीं आते और यह दुर्लभ क़िस्म के मामले माने जाते हैं। ऐसे मामलों में सटीक डायग्नोसिस करने के पश्चात सही तरह का उपचार प्रदान करना और रोगी को तत्काल राहत पहुंचाने की ओर एक सफल कदम माना जाता है। सफलतम ऑपरेशन की इस टीम में डॉ. बजरंग टाक के साथ-साथ एनेस्थेटिक के रूप में डॉ. रश्मि जैन,डॉ सविता राठी और सहायकों के रूप में राजू सिंह, हीरालाल तथा हेमाराम शामिल रहे।

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