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बीकानेर,जयपुर। निदेशक माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान बीकानेर द्वारा शिक्षक सम्मान 2021 के लिए दिशानिर्देश आदेश जारी कर आवेदन आमंत्रित किये है जिसकी अंतिम दिनांक 16 अगस्त 2021 निर्धारित की है। इसी आदेश को संलग्न कर निदेशालय संस्कृत शिक्षा द्वारा भी संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षकों को भी आवेदन करने के लिये आदेश जारी किया है परंतु विगत 2 वर्ष की भांति इस वर्ष भी संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षकों को इस शिक्षक सम्मान पुरस्कार में मायूसी ही हाथ लगने वाली है क्योंकि विगत 2 वर्ष की तरफ ही इस वर्ष भी आवेदन व्यवस्था सामान्य शिक्षा विभाग के साथ ही हो रही है इस कारण संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षको को उचित स्थान नही मिल पाता है। संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षकों ने विगत व इस वर्ष भी सक्षम स्तर पर अपनी बात रखी परन्तु कोई समाधान नही निकला।

*आवेदन व्यवस्था में ही विसंगति*
विगत 2 वर्षों से ऑनलाइन शिक्षक सम्मान हेतु आवेदन व्यवस्था ही विसंगतिपूर्ण होने के कारण संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षकों को भी सामान्य शिक्षा विभाग के शिक्षकों के साथ ही शामिल किया जाता है, सामान्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा ही मोनिटरिंग होती है तथा उन्ही के द्वारा ही शिक्षकों का चयन होता है, निदेशालय संस्कृत शिक्षा अथवा सम्भागीय संस्कृत शिक्षाधिकारी कार्यालय व विभागीय अधिकारियों की कोई भूमिका नही रह गयी है, जिस कारण संस्कृत शिक्षा विभाग का जो पूर्व निर्धारित श्रेणीवार कोटा था उस अनुसार शिक्षकों का चयन नही हो पाता है और संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षक उपेक्षा का शिकार होते है निर्धारित कोटे से वंचित रह जाते है। 2 वर्ष पूर्व में तृतीय श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, प्राध्यापक व प्रधानाध्यापक/प्रधानाचार्य की अलग अलग संख्या अंतर्गत लगभग 16 शिक्षक संस्कृत विभाग से चयनित हुआ करते थे जो अब 1-2 पर ही सिमट गये है और शायद शिक्षक सम्मान 2021 में भी यही देखने को मिले इस कारण से संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षकों को निराशा हो रही है। इसके अतिरिक्त सामान्य शिक्षा विभाग में उत्कृष्ट व आदर्श विद्यालयों के संस्था प्रधानो को भी सम्मानित किया जाता है परंतु संस्कृत शिक्षा विभाग में इस तरह की भी कोई व्यवस्था नही है।
राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ लोकतांत्रिक के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनवारी शर्मा ने राज्य सरकार से मांग की है संस्कृत शिक्षकों को शिक्षक पुरस्कार पूर्व की भांति अलग से दिया जाय जिससे संस्कृत शिक्षा विभाग और शिक्षकों के साथ न्याय हो सके ।

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