बीकानेर,आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती मुनिश्री शान्ति कुमार जी का अंतिम संस्कार आज सुबह 10. 21 बजे पुरानी लेन स्थित ओसवाल शमसान गृह में किया गया। मुखाग्नि उनके भतीजे हेमराज व कर्ण नाहटा ने तथा समाज की तरफ से तेरापंथी सभा अध्यक्ष अमरर चन्द सोनी ने दी। अन्तिम प्रयाण यात्रा तेरापंथ भवन से 9. 30 बजे प्रारम्भ हुयी। अंतिम यात्रा में तेरापंथी सभा , तेरापंथ महिला मंडल , युवक परिषद , किशोर मंडल , कन्या मंडल , अणुव्रत समिति , तेरापंथ प्रोफेशनल , आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के पदाधिकारीगण व सदस्यगण शामिल हुयी . अन्तिम यात्रा में बेंकुंठी , नगाड़े व बैंड बाजा के साथ गीतिका गाते हुए श्रद्धालुओं का हुजूम चल रहा था। तेरापंथ भवन से महावीर चौक , मुख्य बाजार , सुजानदेसर रोड़ होते हुए शमशान गृह तक पहुंची शान्ति मुनि अमर रहे व जैन तेरापंथ धर्म से सम्बंधित नारे लगा रहे थे। बीकानेर , गंगाशहर,उदासर , नाल व भीनासर का श्रावक समाज बड़ी संख्या में तेरापंथ भवन से ही अंतिम यात्रा में से शामिल हो गए।
आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अपने सन्देश में लिखा कि मुनिश्री शान्ति कुमारजी स्वामी का कालधर्म प्रापण हो गया। वे अग्रणी मुनिश्वर थे। वे काफी वर्षों से गंगाशहर चोखले में प्रवास कर रहे थे। मृत्यु का अपना नियम है, उसका कोई अपवाद नहीं हो सकता। उसी नियम के तहत मुनि श्री शान्तिकुमारजी स्वामी ने अपनी संयम यात्रा सम्पन्न कर ली। विशेष बिमारी ने भी उनके शरीर को आक्रान्त कर दिया था – ऐसा पता चला था। मुनिश्री की आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना।मुनिश्री शांति कुमार जी दिक्षाक्रम में मेरे से ज्येष्ठ थे।रत्नाधिक मुनिप्रवर थे।
इससे पहले साध्वी श्री कीर्तिलता जी एवं सहवर्ती साध्वी जी द्वारा श्रद्धांजलि गीतिका सुनायी गयी। साध्वी श्री ललितकला जी का वक्तव्य सेवाभावी शान्त स्वभाव के धनी । मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी , मुनिश्री विमल विहारी जी व प्रमोद मुनि ने मंगलपाठ सुनाया। जैन लूणकरण छाजेड़,जीवराज सामसुखा,जतनलाल छाजेड़,अरुण नाहटा, किशन बैद,पवन छाजेड़,पीयूष लूनिया,रतन छलानी,मांगीलाल लूणिया,कुशल , कुलदीप छाजेड़,चैतन्य रांका इत्यादि अनेक कार्यकर्तागण व्यवस्था सहयोगी रहे ।