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बीकानेर,कोलकाता, भारतीय सेना ने अमेरिकी फौज के साथ युद्धाभ्यास के दौरान उत्तराखंड के औली में अपने नवीनतम ‘हथियार’ का प्रदर्शन किया था, जो ‘अर्जुन’ नाम का एक ब्लैक काइट (शिकारी पक्षी) है।

एशिया में पाया जाने वाला मध्यम आकार के इस ब्लैक काइट को नशीले पदार्थों के साथ सीमा पार से उड़कर आ रहे क्वाडकाप्टर ड्रोन पर हमला करके उसे गिरा देने की ट्रे¨नग दी गई है। अर्जुन ने पिछले दो वर्षों में इसमें महारत हासिल कर ली है। उसका काम सीमा पर निगरानी रखना और वहां की सभी गतिविधियों की रिकाडिंग करना है। इस बाबत उसके शरीर पर कैमरे लगाए गए हैं। इस काम में शाहिद खान का विशेष योगदान है। शाहिद देश में एकमात्र शख्स हैं, जिन्हें भारत सरकार की तरफ से बाजों को रखने और उसके खोए खेल को प्रदर्शित करने की अनुमति दी गई है।

अर्जुन को ड्रोन विध्वंसक बनाया गया है

बाजों की आबादी में भारी गिरावट आने और उसकी प्रजातियों को लुप्तप्राय घोषित करने के बाद भारत सरकार ने बाजों के खेल पर प्रतिबंध लगा दिया था। शाहिद को 1999 में बाज रखने और उन्हें प्रदर्शित करने की अनुमति दी गई थी। उनका मानना है कि भारतीय सेना में शिकारी पक्षियों के उपयोग से देश के आसमान में उनको वापस लाने में मदद मिलेगी। अर्जुन को ड्रोन विध्वंसक बनाया गया है। बाजों में दिलचस्पी रखने वालों का मानना है कि भारतीय सेना के इस कदम से इस खेल से प्रतिबंध हटाने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है। गौरतलब है कि भारत सैन्य उपयोग के लिए शिकारी पक्षियों का

इस्तेमाल करने वाला पहला देश नहीं है।

नीदरलैंड ने भी ड्रोन से निपटने के लिए शिकारी पक्षियों का इस्तेमाल किया है। भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि शिकारी पक्षी और उसके संचालक, दोनों के प्रशिक्षण पर जोर दिया जाना चाहिए। एक पक्षी को पूरी तरह प्रशिक्षित करने में वर्षों लग जाते हैं। ब्लैक काइट को इसलिए चुना गया क्योंकि इसका जीवनकाल 20 साल से अधिक का होता है। वे भारतीय आसमान में बहुत ज्यादा पाए जाते हैं और मनुष्यों के प्रति काफी वफादार होते हैं।

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