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बीकानेर,राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार चिरंजीवी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले उन सभी लोगों को स्वास्थ सेवा देने का दावा करती है. जो गरीबी रेखा के नीचे है.लेकिन जमीनी हकीकत ये इस योजना को मूर्त रूप देने वाले चिकित्सिक ही ग्रामीण क्षेत्रों की सीएचसी मे नदारद है.

राजस्थान में प्रत्येक नागरिक को उचित स्वास्थ्य सेवा मिले इसी उद्देश्य को लेकर राजस्थान की गहलोत सरकार ने महत्वपूर्ण योजना चिरंजीवी का आगाज किया था जिसमें गरीब से गरीब आदमी को भी उचित स्वास्थ्य सेवा निशुल्क प्रदान की जा सके और राजस्थान का जो स्वास्थ्य ग्राफ है उसमें बढ़ोतरी की जा सके लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा सिर्फ नाम मात्र की बनकर रह गई है.

चिरंजीवी योजना का फायदा आमजन को तब मिलेगा जब ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सामुदायिक चिकित्सा केंद्रों में चिकित्सकों की स्थाई नियुक्ति होगी ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज इन सीएचसी में इलाज के लिए आते हैं लेकिन डॉक्टर नहीं होने की वजह से मजबूरन बहार प्राइवेट डॉक्टर से अपना इलाज कराना पड़ता है जिससे उन्हें आर्थिक व मानसिक रूप की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है
आज हम बात कर रही हैं बीकानेर जिले की महाजन सीएससी केंद्र की बीकानेर गंगानगर रोड पर स्थित इस सीएससी केंद्र में 6 डॉक्टरों के पद है लेकिन सभी के सभी रिक्त पड़े हैं इसके अलावा सात अन्य स्टाफ का भी पद रिक्त पड़े हैं. जिससे यहां के ग्रामीणों को परेशानी से रूबरू होना पड़ता है. इस सीएचसी की स्थापना इस उद्देश्य की गई थी इस हाईवे पर अत्यधिक होने वाली दुर्घटनाओं को में घायल होने वाले लोगों को तत्काल उपचार किया जाए लेकिन हालात ऐसे कि यहां प्राथमिक चिकित्सा के भी टोटे पड़ रहे हैं प्रत्येक घायल को लुणकनसर रेफर किया जाता है या बीकानेर जिससे घायलों की स्थिति गंभीर हो जाती है या मौत के आगोश में सो जाते हैं वही अगर बात करें प्रसूताओं की तो उनको भी अन्य स्थानों पर रेफर किया जाता है.

सीएससी केंद्र में रोजाना 200 से ढाई सौ तक की ओपीडी रहती है इसके लिए आसपास के चिकित्सा केंद्र से एक डॉक्टर की ड्यूटी लगा कर अधिकारी वैकल्पिक व्यवस्था कर इतिश्री कर रहे हैं. एक डॉक्टर द्वारा नहीं तो इतनी बड़ी ओपीडी की सही जांच नहीं की जा सकती है और ना ही मरीजों को पूरी सुविधा मिल पा रही है. ग्रामीणों के अनुसार अगर समय पर अधिकारियों ने इसको संज्ञान में नहीं लिया तो वह दिन दूर नहीं जब इस सीएचसी पर ताला जड़ दिया जाएगा.महाजन के उपसरपंच श्यामलाल देराश्री कहते हैं कि इस केंद्र पर 6 डॉक्टरों के पद स्थापित हैं लेकिन वर्तमान में एक भी डॉक्टर यहां पर नहीं है इसके अलावा सात अन्य स्टाफ के पद रिक्त हैं जिससे यहां आने वाले मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है अधिकारी को कई बार अवगत कराने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे इस सीएससी के होने का कोई भी फायदा ग्रामीण अंचलों के लोगों को नहीं मिल रहा है.

सरपंच प्रतिनिधि अजमल हुसैन शैक्ख ने बताया कि डॉक्टरों के पद रिक्त होने के चलते शेरपुरा से अस्थाई रूप से डॉक्टरों की व्यवस्था की गई है अगर समय रहते अधिकारियों ने रिक्त पदों की भर्ती नहीं की तो मजबूरन ग्रामीणों को आंदोलन करना पड़ेगा.

ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी केंद्रो में चल रहे रिक्त पदों से जहां आम आदमी परेशान हैं तो वही प्रदेश की गहलोत सरकार की महत्वपूर्ण योजना चिरंजीव का भी फायदा आम आदमी की पहुंच से दूर होता हुआ नजर आ रहा है. इस तरह कैसे होगा राजस्थान का आम जन स्वास्थ्य और कैसे होगी यहां की स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ.

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