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बीकानेर,राजस्थान सरकार की सरकारी योजनाएं किताबी है, ख्याली है और धरातल पर काम नहीं आती है यह कहना है बीकानेर के सोशल एक्टिविस्ट डूंगरसिंह तेहनदेसर का व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर।
सोशल एक्टिविस्ट डूंगरसिंह तेहनदेसर ने बताया कि 28 मई 2022 को उनके ताऊ जी के बेटे मनोहरसिंह राठौड़ की युवावस्था में दुर्घटना में मृत्यु हुई थी, उनका नाम मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में भी इंद्राज था लेकिन इससे सम्बन्धित विभाग जयपुर ने दुर्घटना क्लेम निरस्त कर दिया।
दरअसल मनोहरसिंह राठौड़ के तेहनदेसर की रोही में दिनांक 18 अप्रैल 2022 को खेत मे कृषि कार्य करते हुए रीढ़ की हड्डी पर ऊंट गाड़ा गिरने से वो गम्भीर चोटिल हो गया, जिसको राजकीय पीबीएम अस्पताल में एडमिट करवाया गया, बाद में बेहतर ईलाज के लिए जयपुर सवाई मानसिंह अस्पताल ले गए लम्बा ईलाज चलने के बाद 28 मई 2022 को नेफ्रोलॉजी विभाग में उसकी मृत्यु हो गई थी।
डूंगरसिंह तेहनदेसर ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय एवं सम्बन्धित विभाग से सम्पर्क किया गया तो क्लेम रद्द करने का कारण बताया गया कि योजना 01 मई 2022 को लागू हुई एवं चोट 18 अप्रैल को लगी यह तर्क दिया गया है जब कि यह मानवीय पहलू नहीं देखा जा रहा है कि मनोहरसिंह की मृत्यु 28 मई यानी कि योजना अवधि के भीतर हुई है।
सोशल एक्टिविस्ट डूंगरसिंह तेहनदेसर ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि मानवीय पहलू के आधार पर 5 लाख रुपए की चिरंजीवी योजना की दुर्घटना क्लेम की राशि मानवीय आधार पर जारी की जाए नहीं तो मजबुरन अपने युवा साथियों के साथ जयपुर पैदल कूच करेंगे एवं वहां पहुंचकर जवाब तलबी की जाएगी।
डूंगरसिंह तेहनदेसर ने आरोप लगाया कि चिरंजीवी दुर्घटना क्लेम योजना ढकोसला है नहीं मिलता जरूरतमंदों को क्लेम, सरकार की योजनाएं किताबी एवं ख्याली है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है।
डूंगरसिंह तेहनदेसर ने इस सम्बन्ध में सुजानगढ़ विधायक मनोज मेघवाल, चुरु सांसद राहुल कस्वां, पूर्व सिंचाई मंत्री देवीसिंह भाटी, पूर्व संसदीय सचिव डॉ विश्वनाथ मेघवाल, नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, बीकानेर पूर्व विधायक सिद्धि कुमारी, लूणकरणसर विधायक सुमित गोदारा सहित कई जनप्रतिनिधियों को पत्र भी लिखे है।

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