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बीकानेर,सर्दी के साथ कोहरे की दस्तक ने ट्रेनों की चाल भी बदल दी है। इसके चलते रेलवे प्रशासन ने कोहरा प्रभावित रूटों में ट्रेनो की रफ्तार में बदलाव किया है। इसमें बीकानेर मंडल की कई ट्रेने भी शामिल है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार कोहरे के कारण रेलगाडिय़ों के संचालन में सेफ्टी के स्तर को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। खासतौर से देश के उत्तरी भागों में कोहरे के दौरान रेलगाडिय़ों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है। कोहरे में रेलगाडिय़ों की रफ्तार अधिकतम 60 किमी प्रतिघंटे तय की गई है। जिन ट्रेन के इंजनों में सेफ्टी उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। उन ट्रेनों की रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़ाकर 75 किलोमीटर प्रति घंटे की जा सकेगी। ट्रेन ज्यादा लेट नहीं हो, इसलिए सेफ्टी उपकरणों की मदद से औसत रफ्तार बढ़ाई जाएगी। वहीं कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में चलने वाले सभी रेल इंजनों में लोको पायलट को सेफ्टी के विश्वसनीय उपकरण उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है। डेटोनेटरों की नियुक्ति और डेटोनेटरों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। ये ऐसे उपकरण हैं जो पटरियों पर लगा दिए जाते हैं और जब कोई इंजन उनके ऊपर से गुजरता है, तो वे चालक का ध्यान आकर्षित करने के लिए जोर से विस्फोट करते हैं। इसके साथ ही साइटिंग बोर्ड पर ट्रैक के आर-पार लाइम मार्किंग करने के निर्देश जारी किए गए हैं। सभी सिग्नल साइटिंग बोर्ड, सिटी बोर्ड, फॉग सिग्नल पोस्ट और व्यस्त संवेदनशील समपार फाटक जो दुर्घटना संभावित हैं उन्हें पेंट किया जा रहा है। उन पर पीले और काले रंग की चमकदार पट्टियां भी चिपकाई गई हैं। नए मौजूदा यात्री कम लगेज रेक (एसएलआर) में पहले से ही एलईडी आधारित फ्लैशर टेल लाइट लगाई जा रही है। स्टॉप सिग्नल की पहचान के लिए सिग्मा आकार में रेट्रो रिफ्लेक्टिव स्ट्रिप लगाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं।

चालक दल के लिए यह भी निर्देश
यह भी निर्देश दिए हैं कि जब लोको पायलट महसूस करता है कि कोहरे के कारण दृश्यता प्रतिबंधित है, तो उसी गति से रेलगाड़ी चालाने सलाह दी गई है, जिस पर वह रेलगाड़ी को नियंत्रित कर सके। ताकि किसी भी बाधा से निपटने के लिए वह तैयार रहे, यह गति किसी भी स्थिति में 75 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं होगी। लेवल क्रॉसिंग पर गेटमैन और सड़क उपयोगकर्ताओं को चेतावनी देने के लिए लोको पायलट बार-बार हॉर्न बजाएंगे।

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