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बीकानेर,राजस्थान के सीकर जिले में गैंगस्टर राजू ठेहट की हत्या कर दी गई. हत्या की तस्वीरें सीसीटीवी में कैद हुई. इसके पीछे लॉरेंस विश्नोई गैंग का हाथ बताया जा रहा है.लॉरेन्स विश्नोई गैंग के रोहित गोदारा ने ली हत्याकांड की जिम्मेदारी. कहा गया कि आनंदपाल और बलवीर बानूड़ा की हत्या में राजू ठेहट शामिल था जिसका आज बदला लिया गया है.

गैंगस्टर राजू ठेहट की कहानी

इस कहानी को समझने के लिए हमें साल 1995 के दौर में जाना होगा. और सीकर की एसके कॉलेज की छात्रराजनीति को समझना होगा. उस वक्त राजस्थान में भैरोसिंह शेखावत की सरकार थी. एसके कॉलेज में एबीवीपी मजबूत हो रही थी. यहीं पर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता गोपाल फोगावट से राजू ठेहट की मुलाकात हुई. गोपाल शराब का कारोबार करता था. इसी बीच मुलाकात बलवीर बानूड़ा से हुई.

बलवीर बानूड़ा दूध का कारोबार करता था लेकिन इनसे मुलाकात के बाद उसने भी शराब कारोबार में हाथ आजमान शुरु किया. बानूड़ा और ठेहट अच्छे दोस्त बने. करीब तीन साल बाद 1998 में दोनों ने मिलकर भोमाराम हत्याकांड को भी अंजाम दिया. इन लोगों ने साल 1998 से 2004 तक शेखावाटी इलाके में अपना दबदबा कायम किया. ये ऐसा वक्त था जब कोई शराब का कारोबार करता हो तो उसे राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा के यहां हाजिरी लगानी ही होती थी. राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा में दुश्मनी कैसे हुई

ये बात साल 2004 की है. उस वक्त राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार थी. शराब ठेकों के लिए लॉटरी का सिस्टम तय किया गया. जीण माता में शराब का ठेका बानूड़ा और ठेहट को मिला. मुनाफा दोनों कमाते और दुकान पर सेल्समैन के तौर पर बानूड़ा का साला विजयपाल काम करता था. हर दिन शाम को विजयपाल बिक्री का हिसाब देता था. लेकिन राजू ठेहट को लगा कि उसे सही मुनाफा नहीं मिल रहा है. उसे विजयपाल पर शक हुआ कि वो ब्लैक में शराब बेच रहा है और खुद ही मुनाफा कमा रहा है.

इसी बात पर दोनों के बीच बहस हुई. विवाद इस हद तक पहुंच गया कि राजू ठेहट ने अपने साथियों के साथ मिलकर बलवीर बानूड़ा के साले और शराब ठेके के सेल्समैन विजयपाल की हत्या कर दी. साले की हत्या होने से बलवीर भी राजू ठेहट का दुश्मन बन गया. लेकिन समस्या ये थी कि राजू ठेहट को गोपाल फोगावट जैसे बड़े अपराधी का आशीर्वाद था. ऐसे में बलवीर बानूड़ा ने भी खुद को मजबूत करने के लिए नागौर के गैंगस्टर आनंदपाल से हाथ मिला लिया. लेकिन उस वक्त आनंदपाल आर्थिक रुप से उतना मजबूत नहीं था. इसलिए राजू ठेहट से मुकाबला करने के लिए बलवीर और आनंदपाल ने शराब के साथ साथ माइनिंग का धंधा शुरु किया.

दोनों गैंग के बीच कई बार छोटे मोटे गैंगवार हुए. राजू ठेहट शेखावाटी के साथ साथ हरियाणा तक शराब कारोबार करता था. इधर जून 2006 में राजू ठेहट को कमजोर करने के लिए पहले उसके आका गोपाल फोगावट की हत्या की गई. अब बारी राजू ठेहट की थी. फोगाट की हत्या के बाद दोनों गैंग अंडरग्राउंड हो गई. 2012 में बानूड़ा, आनंदपाल और राजू ठेहट की गिरफ्तारी हो गई. 26 जनवरी 2013 को जेल के अंदर ही बानूड़ा के दोस्त सुभाष बराल ने ठेहट पर हमला किया लेकिन ठेहट बच गया. इस हमले के बाद राजू ठेहट ने अपनी गैंग की जिम्मेदारी भाई ओमप्रकाश को दे दी.

बलवीर बानूड़ा की हत्या

2013 में जब बलवीर बानूड़ा और आनंदपाल बीकानेर जेल में बंद थे. उसी समय राजू ठेहट के भाई ओमप्रकाश का साला जयप्रकाश और रामप्रकाश भी इसी जेल में बंद थे. यहां आनंदपाल और बानूड़ा पर हत्या की प्लानिंग की गई. जेल के अंदर हथियार पहुंचे. 24 जुलाई 2014 को हमला हुआ. आनंदपाल बच गया लेकिन बानूड़ा की मौत हो गई.

अब राजू ठेहट की हत्या

बानूड़ा की हत्या से राजू ठेहट ने अपने साले की मौत का तो बदला ले लिया लेकिन अब आनंदपाल बदले की आग में जल रहा था. इसी बीच 24 जून 2017 को पुलिस एनकाउंटर में आनंपाल की मौत हो गई. वैसे ये पुलिस एनकाउंटर था लेकिन आनंदपाल गैंग के लोग इसमें राजू ठेहट का हाथ भी मानते थे. अब राजू ठेहट की मौत के बाद लॉरेंस विश्नोई गैंग के रोहित गोदारा ने यही कहा है कि उसने आनंदपाल सिंह और बीकानेर जेल में हुई बलवीर बानूड़ा की हत्या का बदला लिया है.

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