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बीकानेर,सीकर। राजस्थान में कुख्यात गैंगस्टर राजू ठेठ की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। सीकर में उनके घर के पास में यह गोली मारी गई। पुलिस बदमाशों की तलाश में जुट गई है।

बता दें कि

इससे पहले सीकर में 2 वर्ष पहले कुख्यात गैंगस्टर राजू ठेहट को 20 दिन की पैरोल मिली थी तब भी पुलिस को गंभीर अपराध होने की आशंका थी। और अब हुआ भी वैसा ही।

आशंका जताई जा रही है कि आनंदपाल गैंग का इसके पीछे हाथ हो सकता है। गौरतलब है कि राजू ठेहट गैंग और आंदपाल गैंग में दुश्मनी के कारण अब तक कई लोग मारे जा चुके हैं। पहले सरकार और पुलिस ने राजू ठेहट को पैरोल पर रिहा नहीं करने का अनुरोध भी किया था। साथ ही सीकर पैरोल कमेटी ने भी ठेहट को पैरोल देने से इंकार किया था। सभी द्वारा ठेहट के पैरोल मिलने पर गंभीर अपराध की आशंका जताई थी। पुलिस द्वारा पैरोल पर ठेहट द्वारा फरार होने की भी संभावना भी जताई गई थी।

राजू ठेहट के अपराध की कहानी

1997 में बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे। दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे। 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी। शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई। पुलिस फाइल्स के मुताबिक-विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था। विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई। बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया।

आरोप है कि दोनों ने मिलकर राजू के करीबी गोपाल फोगावट की हत्या कर दी। दुश्मनी का खेल ऐसा चला कि 2016 कर शेखावाटी में 15 से ज्यादा हत्याएं हुईं। दोनों ही गैंग्स ने जेल तक दुश्मनी निभाई। 26 जनवरी 2014 को सीकर जेल में राजू ठेहट पर हमला हुआ तो छह महीने बाद ही बीकानेर जेल में आनंदपाल और बलबीर पर। हमलों में राजू ठेहट, आनंदपाल तो बच गए, लेकिन बलबीर मारा गया। वहीं, आनंदपाल का 24 जून 2017 को पुलिस द्वारा एनकाउंटर कर दिया गया।

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