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बीकानेर,कार्यवाहक प्राचार्य नीलम ने स्कूल की तरफ से जवाब देते हुए बताया है कि बच्चों को दूध देने से पहले टीचर्स ने खुद पीकर इसकी जांच की लेकिन, दूध पीने के बाद बच्चों के पेट में दर्द हुआ.

राजस्थान के सरकारी स्कूलो में शासन की तरफ से शुरू की गई ‘बाल गोपाल योजना’ के तहत हफ्ते में कुछ बच्चों को नि:शुल्क दूध पिलाया जाता है. यह योजना हाल ही में शुरू की गई है और इसी के साथ इसमें प्रशासन स्तर की लापरवाही की खबर भी आ रही है. दरअसल, राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के एक सरकारी स्कूल में दूध पीने से 16 छात्राएं बीमार हो गई हैं.

हनुमानगढ़ के सेठ राधा किशन बिहाणी राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में बांटा गया दूध कई बच्चियों की बीमारी का कारण बन गया. इस मामले में स्कूल प्रशासन की तरफ से लापरवाही की बात सामने आई है. हालांकि, मामले में विद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्य नीलम ने सफाई पेश की है.

‘पहले टीचर्स ने दूध पीकर किया था चेक’कार्यवाहक प्राचार्य नीलम का कहना है, ‘बाल गोपाल योजना सरकार ने 1 से 8वीं कक्षा के बच्चों के लिए चलाई है. अध्यापकों ने दूध पीकर जांच भी की थी. जिसके बाद बच्चों को दिया गया था. बच्चों ने पीते ही पेट दर्द की शिकायत की थी. हम तुरंत बच्चों को अस्पताल लेकर आए. यह आज पहली बार बच्चों को पिलाया गया था.

क्या है बाल-गोपाल योजना?
जानकारी के लिए बता दें, राजस्थान सरकार ने सरकारी स्कूलों में कक्षा-1 से कक्षा-8 तक के बच्चों के लिए ‘बाल गोपाल योजना’ की शुरुआत की है. अशोक गहलोत सरकार की मंशा है कि बच्चों को मिड डे मील के साथ पौष्टिक दूध मिले. इसके लिए इस योजना की शुरुआत हुई. बाल गोपाल योजना के तहत सिर्फ कक्षा-1 से लेकर 8वीं तक के बच्चों को ही लाभ मिलेगा. योजना को लॉन्च करते हुए शासन की तरफ से कहा गया था कि सभी विद्यार्थियों को सतत विकास हो सके और उनके उज्ज्वल भविष्य का निर्माण हो सके, इसके लिए बाल गोपाल योजना शुरू की गई है.

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