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बीकानेर में भाजपा की जुनागढ़ के सामने जनाक्रोश रैली में जनता का कांग्रेस सरकार के खिलाफ कहीं जन आक्रोश नहीं दिखाई दिया। यहां तक कि भाजपा कार्यकर्ताओं में भी कांग्रेस सरकार के खिलाफ इस आयोजन के माध्यम से जन आक्रोश के कोई संकेत दिखाई नहीं दिए। और तो और जिन विधानसभा क्षेत्रों में जन आक्रोश यात्रा जाएगी उस क्षेत्र के विधायक भी कांग्रेस के खिलाफ जन आक्रोश बनाने आयोजन में शामिल नहीं हुए। बीकानेर में भाजपा की राजनीति के सर्वेसर्वा बने केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी इस आयोजन के माध्यम से जनता में जन आक्रोश फूंकने नहीं आए। पूर्व विधानसभा से विधायक सिद्धि कुमारी के क्षेत्र में यात्रा शुरू होनी है वो भी नहीं आई। भाजपा के तीन विधायक सिद्धि कुमारी, सुमित गोदारा, बिहारी विश्नोई इस जन आक्रोश यात्रा के आयोजित कार्यक्रम में दिखाई नहीं दिए। बीकानेर भाजपा में गुटबाजी का आलम यह है कि पूर्व महापौर नारायण चोपड़ा, पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका को मंच से दूर रखा गया। अगले चुनाव में साख बनाने के खातिर जनाक्रोश यात्रा भले ही निकले, परंतु सच यह है कि कांग्रेस सरकार के प्रति जनता में तो दूर भाजपा के लोगों में ही आक्रोश का इजहार नहीं हो रहा है। भाजपा संगठन के मठाधीश मंच पर बैठकर भले ही कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक बयानबाजी कर लें। वे पार्टी कार्यकर्ता और जनता का मानस कहां बदल पा रहे हैं। तिस पर पूर्व महापौर , पूर्व न्यास अध्यक्ष को भी मंच से दूर रखना संगठन पर काबिज लोगों की सोच को इंगित करता है। भाजपा की जन आक्रोश यात्रा से कांग्रेस के प्रति जन मानस कितना बदलेगा यह तो समय ही बताएगा, परंतु इस आयोजन से बीकानेर भाजपा की कैसी तस्वीर बनी हैं ? पार्टी के आका देख लें। खास तौर से अर्जुन राम मेघवाल को अगर वे भाजपा का हित चाहते हैं तो इस तस्वीर का विश्लेषण करना ही चाहिए।

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