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बीकानेर,जन्म से सुनने और बोलने की अक्षमता एक गंभीर समस्या है, जिसका असर आजीवन रह सकता है। भारत में पैदा होने वाले प्रति एक हजार बच्चों में से चार बच्चे ऐसी विकृति के साथ पैदा होते हैं।

यदि अभिभावक इसको लेकर शुरू से सावधान रहें तो बच्चों को इस समस्या से बचाया जा सकता है। इसके उपचार में कॉकलियर इम्प्लांट तकनीक बेहद कारगर सिद्ध हुई है। विशेष रूप से राजस्थान इस तकनीक के जरिए उपचार उपलब्ध करवाने में देश में अग्रणी राज्य बनकर सामने आया है।

अब कॉकलियर से भी आगे की तकनीक
एसएमएस अस्पताल जयपुर के ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि कॉकलियर इम्प्लांट करने के लिए रोगी के मस्तिष्क में यह कॉकलियर नर्व का होना आवश्यक होता है। लेकिन जिन मरीजों में यह नर्व नहीं होती, उनमें सर्जरी के जरिए कॉकलियर नस विकसित कर इम्प्लांट किया जाता है, जिसे ऑडिटर ब्रेन स्टेम कहते हैं। यह अत्याधुनिक तकनीक है, जो अभी केवल चेन्नई व दिल्ली के कुछ निजी अस्पतालों में ही इस्तेमाल की जाती है। राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहां यह 18 से 20 लाख रुपये में होने वाला बेहद खर्चीला इम्प्लांट सरकारी अस्पताल में निःशुल्क किया जा रहा है।

अब तक एक हजार 100 से अधिक का उपचार
इसी तरह राजस्थान राज्य आंध्रप्रदेश और केरल के बाद देश का तीसरा ऐसा राज्य है, जहां कॉकलियर इम्प्लांट के जरिए पांच वर्ष तक के करीब एक हजार 100 बच्चों की सुनने और बोलने की क्षमता लौटाई जा रही है। गौरतलब है कि आंध्रप्रदेश और केरल में जहां यह तकनीक निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध है, वहीं राजस्थान में यह मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सरकारी अस्पताल में पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध है।

इन अस्पतालों में हो रहा इम्प्लांट
अभी प्रदेश के पांच शहरों के राजकीय अस्पतालों में निःशुल्क कॉकलियर इम्प्लांट की सुविधा उपलब्ध है। इनमें जयपुर,अजमेर, बीकानेर, उदयपुर और जोधपुर श्हार शामिल हैं। राजधानी जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अब तक 700, जयपुरिया अस्पताल में 95, सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर में 145, आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में 40, एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर में 60 तथा जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर में 20 इम्प्लांट किए जा चुके हैं।

9 माह की उम्र के बाद ही हो सकता है इम्प्लांट
प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर के अनुसार कॉकलियर इम्प्लांट के लिए बच्चों की आयु जितनी कम हो, उतना ही अधिक लाभ मिलता है। स्वास्थ्य नीति के अनुसार इम्प्लांट के लिए नौ महीने की आयु अनुमोदित है, यानी कम से कम नौ महीने से बड़े बच्चों का ही ऑपरेशन हो सकता है। राजस्थान में 4 साल से कम उम्र के बच्चे निशुल्क इलाज प्राप्त कर सकते हैं। कॉकलियर इम्प्लांट का ऑपरेशन सामान्यतः बहुत महंगा है। प्रत्येक ऑपरेशन का खर्च कम से कम आठ से 10 लाख होता है। राजस्थान इसे निःशुल्क करने वाला देश का तीसरा राज्य है। एक अप्रेल, 2022 से इसे मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल कर लिया गया है।

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