बीकानेर,स्वतंत्रता आंदोलन में राजस्थानी साहित्य और उसके रचनाकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1857 की आजादी के आंदोलन से पहले भी मुगल सत्ता और उसके बाद में अंग्रेजों और राजतंत्र कि व्यवस्था के खिलाफ राजस्थानी साहित्य की सृजनात्मक एवं रचनात्मक योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिसको भुलाया नहीं जा सकता। यही केन्द्रिय भाव गत दिन दोसा में आयोजित राज्य स्तरीय स्वतंत्रता आंदोलन में राजस्थानी साहित्य का योगदान विषयक राज्य स्तरीय परिसंवाद का आयोजन साहित्य अकादेमी नई दिल्ली एवं सरस्वती कॉलेज ऑफ टीचर्स टेªनिंग के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार आयोजित किया गया।
इसी महत्वपूर्ण परिसंवाद का उद्घाटन कि अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य एवं कवयित्री डॉ निकिता त्रिवेदी ने की। मुख्य अतिथि राजस्थानी की वरिष्ठ साहित्यकारा डॉ शारदा कृष्ण ने की और अतिथि के रूप में अकादेमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक एवं वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य एवं अकादमी के सहायक सम्पादक ज्योतिकृष्ण वर्मा रहे।
परिसंवाद की अध्यक्षता करते डॉ. निकिता ने कहा कि आजादी के बाद दोसा में यह पहला अवसर है जब कोई राज्य स्तरीय साहित्यिक आयोजन हो रहा है जिसके लिए राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य एवं अकादमी साधुवाद के पात्र है। मुख्य अतिथि डॉ शारदा कृष्ण ने आयोजन के महत्व को रेंखांकित किया तो अतिथि मधु आचार्य ने बताया कि इस महत्वपूर्ण विषय पर आजादी से पहले और आजादी के बाद के कालखंड में राजस्थानी साहित्य एवं साहित्यकारों के योगदान से नई पीढ़ी को रूबरू कराने एवं शोध परख आलेखों से राजस्थानी साहित्य एवं पत्रकारिता के योगदान के कई अनछुए पहलू प्रकाश में आए है। राज्य स्तरीय परिसंवाद में दोसा के रचनाकारों शिक्षाविदों युवा पीढ़ी एवं सैकड़ों गणमान्यों सक्रिय सहभागिता रही, जो महत्वपूर्ण थी।
उक्त राज्य स्तरीय परिसंवाद दो सत्रो में आयोजित किया गया, जिसमें पहले सत्र की अध्यक्षता राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने की एवं इस सत्र में गंगानगर के साहित्यकार एवं शिक्षाविद् आशाराम भार्गव, जयपुर की साहित्यकारा प्रेम शर्मा एवं उदयपुर की रचनाकार अनुश्री राठौड़ ने क्रमशः बीकानेर, जयपुर एवं उदयपुर अंचल के स्वतंत्रता आंदोलन में राजस्थानी साहित्यिक योगदान को रेखंाकित किया।
परिसंवाद का दूसरा सत्र की अध्यक्षता जोधपुर के साहित्यकार राजेन्द्र बारठ ने की एवं इस सत्र में जयपुर की रचनाकार अभिलाषा पारीक सूरतगढ़ के साहित्यकार हरिमोहन सारस्वत के साथ बीकानेर के साहित्यकार संजय पुरोहित ने तीन महत्वपूर्ण अलग-अलग विषयों पर पत्रवाचन करते हुए कई नवीन जानकारियां के साथ साहित्य और पत्रकारिता के योगदान को रेखांकित किया।
इस अवसर पर साहित्य अकादेमी नई दिल्ली के राष्ट्रीय अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत संजय पुरोहित का दोसा जिले की साहित्यिक सामाजिक एवं शिक्षण संस्थान द्वारा शॉल, श्रीफल, अभिनन्दन पत्र, प्रतिक चिह्न आदि अर्पित कर सम्मान किया गया।
राज्य स्तरीय परिसंवाद के विभिन्न सत्रों का मंच संचालन बीकानेर के वरिष्ठ पत्रकार अनुराग हर्ष और स्थानीय मूलचन्द शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एम.के त्रिवेदी ने किया।
राज्य स्तरीय परिसंवाद के समापन सत्र उपरांत दोसा के रचनाकारों एवं दोसा की राष्ट्रीय कवि चोपाल इकाई शाखा द्वारा परिसंवाद के सहभागी रहे। बीकानेर के रचनाकारों मधु आचार्य ‘आशावादी’ कमल रंगा एवं संजय पुरोहित का दोसा के युवा साहित्यकार एवं संस्था के जिलाअध्यक्ष कृष्ण कुमा सैनी, राजस्थानी कवयित्री डॉ निर्मला शर्मा, साहित्यकार राजेन्द्र यादव आजाद सहित गणमान्य लोगों ने शॉल, अभिनन्दन पत्र, प्रतिक चिह्न, मैडल, आदि अर्पित कर सम्मान किया गया।