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बीकानेर,लोकतंत्र की जननी भारत भूमि हैं जहां ऐतिहासिक राम राज्य बेहतरीन लोकतंत्र के रूप में आज भी दुनिया में याद किया जाता है। भारत इसी बूते दुनिया का बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है। वैसे लोकतंत्र अध्ययन का विशद विषय है। भारतीय लोकतंत्र के संदर्भ में अगर राजस्थान सरकार, राष्ट्रीय कांग्रेस और अशोक गहलोत सचिन पायलट प्रकरण को देखें तो राष्ट्रीय लोकतंत्र के संदर्भ में केस स्टडी के रूप में अध्ययन का विषय बन सकता है। इस विषय का अध्ययन से लोकतंत्र में कई सुधार किए जा सकते हैं। लोकतंत्र प्रणाली कैसे मजबूत हो? राजनीतिक दलों, सरकारों और नेताओं को आचार संहिता में कैसे लाया जाए? गहलोत पायलट स्टेडी से ये निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता आमने सामने होते हैं। सत्तारूढ़ एक ही पार्टी के मुख्यमंत्री और पूर्व उप मुख्यमंत्री के बीच सत्ता संघर्ष देश के लोकतंत्रीय प्रणाली में मिसाल है। एक ही पार्टी में सत्ता के लिए सरकार गिराने के षड्यंत्र तो हुए हैं, परंतु एक दूसरे के राजनीतिक अस्तित्व को नेस्तनाबूद करने का विद इन पार्टी संघर्ष देखने का यह पहला उदाहरण है। गहलोत और पायलट दोनों एक ही हाथ के तले यह लोकतंत्र का खेल खेल रहे हैं। राष्ट्रीय कांग्रेस इसकी साक्षी बनी हुई है। यह लोकतंत्र का क्या माजरा है ? गहलोत पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनने देने का खुला एलान कर चुके हैं। पायलट को बगावती, सरकार गिराने का षड्यंत्रकारी, दस विधायक साथ होने, 10_10 करोड़ रुपए में एम एल ए खरीदने, बीजेपी के हाथों खेलने का आरोप कई बार लगा चुके हैं। नकारा, निकम्मा और गदार कह चुके हैं। वहीं पायलट कहते हैं कि गहलोत दो बार मुख्यमंत्री बने दोनों बार चुनाव हारे तीसरी बार मैं प्रदेशाध्यक्ष के रूप में चुनाव जीता तो फिर उनको मुख्यमंत्री स्वीकार किया। विद इन पार्टी सत्ता का घमासन पूरे राष्ट्रीय लोकतंत्र का ध्यान आकर्षित की हुए हैं। राष्ट्रीय कांग्रेस कहती है गहलोत वरिष्ठ और अनुभवी नेता है। गहलोत पायलट मतभेद सुलझाएंगे। प्रियंका, राहुल गांधी, अजय माकन, के. सी.वेणुगोपाल शायद थक चुके हैं। दोनों नेताओं ने विवाद के चलते पार्टी की एडवाइजरी की भी धज्जियां उड़ाई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महा सचिव जय राम रमेश ताजा हालातों पर कहते हैं गहलोत वरिष्ठ और अनुभवी राजनीतिज्ञ है। विवाद सुलझाया जाएगा। लोकतंत्र में विरोधी पार्टी के बीच नहीं विद इन पार्टी सत्ता संघर्ष का पारा शिखर पर है। गहलोत पायलट का सत्ता संघर्ष राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए या अन्य राजनीतिक पार्टियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी भारतीय लोकतान्त्रिक प्रणाली के लिए अध्ययन कर सुधार के नए आयाम स्थापित करने जैसा विषय है।

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