बीकानेर,भारतीय सेना आतंकवाद विरोधी अभियानों में और तेजी देने के लिए फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के माध्यम से 1,600 बैलिस्टिक शील्ड, 15 हजार बैलिस्टिक हेलमेट और 7 हजार बॉडी कैमरा सिस्टम खरीदेगी। सेना ने भारतीय विक्रेताओं के लिए अनुरोध पत्र (RFI) भी जारी कर दिया है। तीनों उपकरणों को इस महीने की शुरुआत में सरकार ने ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ को मंजूरी दी थी। ये उपकरण आतंकवाद विरोधी अभियानों में सैनिकों को निश्चित बढ़त प्रदान करेंगे। सेना के अधिकांश आतंकवाद विरोधी अभियान जम्मू-कश्मीर में होते हैं।
ऑपरेशन के दौरान उपयोग होंगे बैलिस्टिक हेलमेट
भारतीय सेना ने अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने वाले 15 हजार बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने के लिए एक आरएफआई जारी किया है। सेना के जवान प्रशिक्षण और संचालन के दौरान फिलहाल फाइबर ग्लास के हेलमेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन उन्हें ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा के लिए बैलिस्टिक हेलमेट दिए जाने की जरूरत है। बैलिस्टिक हेलमेट में प्रशिक्षण और संचालन के दौरान सैनिकों को हाई-स्पीड राइफल की गोलियों से बचाने की क्षमता होगी। हेलमेट तीन आकारों में आते हैं, जो 5 मीटर या उससे अधिक की दूरी से दागी गई गोलियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन बैलिस्टिक हेलमेट का तकनीकी लाइफ आठ साल होने की उम्मीद है।
गोला-बारूद से सुरक्षा देगा बैलिस्टिक शील्ड
आतंकवाद विरोधी अभियानों में सेना की बढ़त को तेज करने के लिए 1,600 बैलिस्टिक शील्ड की भी खरीद की जानी है। आरएफआई के अनुसार सेना को हार्नेस के साथ बैलिस्टिक शील्ड की जरूरत है, जो ऑपरेशन के दौरान गोला-बारूद के धमाकों से सुरक्षा प्रदान करेगी। मॉड्यूलर बैलिस्टिक शील्ड सैनिकों के चेहरे को सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होनी चाहिए, जिसका वजन 20 किलो और कहीं भी लाने-ले जाने में सहज होना चाहिए। इसका तकनीकी जीवन कम से कम पांच साल होना चाहिए। रक्षा सामग्री एवं भण्डार अनुसंधान तथा विकास स्थापना (डीएमएसआरडीई) ने बैलिस्टिक शील्ड लड़ाकू प्रभाव को एयर अधिक बढ़ाने के लिए डिजाइन की है और इसमें शरीर की सुरक्षा कवच के रूप में उपयोग करने का प्रावधान है।
बॉडी कैमरा सिस्टम से होगी निगरानी
सेना की जरूरतों के मुताबिक शरीर में पहने जाने वाले 7 हजार ऑडियो और वीडियो रिकॉर्ड करने में सक्षम बॉडी कैमरा सिस्टम भी खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। इस कैमरा सिस्टम को छाती पर आसानी से पहने जा सकता है। यह रियल टाइम वीडियो और ऑडियो को कैप्चर करने में सैनिकों की मदद करेंगे। कैमरे की पिक्चर का रिजॉल्यूशन 1920×1080 पिक्सल का होगा और कम से कम छह साल की शेल्फ लाइफ के साथ 12 घंटे की रिकॉर्डिंग की बैटरी लाइफ के साथ होंगे। अधिकारियों का कहना है कि सैनिकों को पर्याप्त सुरक्षा देने के अलावा शरीर में पहने जाने वाले कैमरे मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में सेना को सही निर्णय लेने में भी मदद करेंगे। आतंकवाद विरोधी अभियानों में इस्तेमाल किये जाने वाले कैमरों की रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखने के लिए राजस्थान के उधमपुर में उत्तरी कमान के मुख्यालय में सेंटर स्थापित किया जाएगा।
सेना की क्षमताओं में हो रहा लगातार विस्तार
केंद्र सरकार भारतीय सेना को लगातार आधुनिक तकनीकों और उपकरणों से अपग्रेड कर रही है। बात चाहे न्यू जनरेशन के फाइटर प्लेन्स की हो या स्वदेशी रूप से विकसित नौसेना का वायुयान कैरियर की, सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। आज के समय में डिफेन्स इक्विपमेंट्स के निर्माण में प्राइवेट प्लेयर्स को अनुमति देना भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए मिल का पत्थर साबित हो रहा है। इससे ना केवल हमारे सेना की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल रही है बल्कि रक्षा निर्यात में भी बढ़ोतरी हो रही है। बीते आठ साल में सरकार की प्रगतिशील नीतियों से भारत रक्षा क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ते हुए दुनिया में अलग पहचान बनाने में कामयाब हुआ है।