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बीकानेर,कांग्रेस में उगता सूरज उनके समर्थक सचिन पायलट को मानते होंगे ? क्या इससे अशोक गहलोत को पार्टी और उनके नेता देखना बंद कर दें? गहलोत का प्रदेश के विकास में कम योगदान नहीं है। कांग्रेस पार्टी की भी उन्होंने कम सेवा नहीं की है। सचिन पायलट समर्थक उनको डूबता सूरज मान रहे होंगे। डूबता सूरज डूबने से पहले उदितमान हुआ। जब उदित होकर प्रकाश के यौवन पर रहता है तो सबके जीवन का संचार करता है। डूबने से पहले चराचर जगत को क्या क्या नहीं देता ? भाजपा में डूबते सूरज का इशारा उनके राजनीतिक प्रतिद्धदियों का वसुंधरा की तरफ है। राजनीति की संस्कृति की तुलना शाश्वत सूरज से करना संकीर्ण बुद्धि का द्योतक है। यहां तो स्वार्थपरकता, मौका परस्ती, चालूसी, पिछलग्गूपन किसी नेता के राजनीतिक असिस्त्व के लिए उनके आचरण का हिस्सा हैं। वैसे गुटबाजी, मौका परस्त होना नेताओं की प्रकृति और संस्कृति है। राजनीति में सिद्धांत और आदर्श की गुंजाइश कम से कमतर होती जा रही है। इसका ठोस प्रमाण केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया है। इस बयान से उनकी सोच उभर कर सामने आई है। निश्चय ही इससे उनका कद घटा है। मेघवाल की संतुलित और संजीदा व्यक्ति की छवि इस बयान से धूमिल हुई है। भाजपा कार्य समिति की बैठक में उप चुनाव के ऐनवक्त और विधानसभा चुनाव के पहले मेघवाल ने राजस्थान भाजपा की गुटबाजी की आग में घी डालने का काम किया है। उनका बयान डूबता हुआ सूरज देखना बंद करो। उगते सूरज सतीश पूनिया के नेतृत्व में देखना शुरू करो। इशारा वसुंधरा राजे की तरफ रहा होगा ? इस बयान से मेघवाल ने अपना बहुत कुछ खो दिया है। वे भी भाजपा में मोदी की साख से उगते सूरज ही है ? वसुंधरा उनके इशारे में डूबता सूरज। वे यह नहीं समझते की उदय होते और अस्त होते सूरज को बादल ढक भी लेते हैं और ग्रहण भी लग जाता है। अभी तो उनका डूबता और उगता दोनों सूरज फूल के साए में है। ऐसे में मेघवाल को ऊपर मुंह करके थूकना शोभा नहीं देता। न ही उनकी ऐसी राजनीतिक हैसियत भी है। इससे पार्टी की छवि गिरी है। खुद को कितना नुकसान हुआ समय ही बताएगा।

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