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बीकानेर,पुलिस की ओर से सडक़ हादसे रोकने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए जाते हैं लेकिन इसके बावजूद भी सडक़ हादसों में कमी नहीं आती है। इन सडक़ हादसों में जिले में हर साल करीब डेढ़ से अधिक लोग अपनी जान गवां देते हैं। घायलों की संख्या भी दो सौ से तीन सौ के बीच रहती है। सडक़ हादसों को रोकने के लिए पुलिस की ओर से समय-समय पर ब्लैकस्पॉट चिह्नित करने, जागरुकता अभियान चलाने तथा नाकेबंदी कर वाहनों की स्पीड कम करने और ब्रेकर आदि बनवाए जाने के प्रयास किए जाते रहते हैं लेकिन इसके बाद भी हादसों में कोई कमी नहीं आ रही है। पुलिस अधिकारियों की माने तो जिले में लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है और बाहर से आने वाले वाहन-अलग है। ऐसे में सडक़ें उतनी है और इनकी उस तेजी से बढ़ोत्तरी नहीं हो पाई है। पिछले दिनों पुलिस के अधिकारियों ने जिले में हो रहे सड़क हादसों के मामलों का मंथन किया तो इनमें सबसे पहला कारण वाहनों की ओवरस्पीड सामने आया है। मतलब यह कि जिले में जितने भी बड़े सडक़ हादसे हुए हैं, वहां स्पीड अधिक रही है। गाडिय़ां हाईस्पीड आ रही है और सडक़ें उतनी सही नहीं है। वहीं दूसरा कारण मुख्य मार्गों पर जल्द बाजी में आगे चल रहे वाहन को ओवरटेक करना है। जल्दबाजी में लोग अगले वाहन को स्पीड में ओवरटेक करते हैं और सामने से आते वाहन से सीधा टकरा जाते हैं। इसके अलावा मुख्य मार्ग, जहां वाहन स्पीड में चलते हैं, उन मार्गों पर पशु आना भी हादसों के कारण बने हुए हैं। सडक़ पर गड्ढे, अंधा मोड, नींद की झपकी आना सहित अन्य कारण भी हैं। ऐसे में पुलिस ने सडक़ हादसों में कमी लाने के लिए पुलिस की ओर से ऐसे स्थानों को चिह्नित किया गया था, जहां कई सालों में बार-बार सडक़ हादसे हो जाते हैं। इन स्थानों पर सडक़ हादसों में क्षतिग्रस्त वाहनों को एक चबूतरा बनवाकर रखवाया गया था। जिससे कि वाहन चालक इनको देखकर सावधानी बरतते हुए कम स्पीड से वाहन चलाएं और सतर्क रहें।

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