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बीकानेर, जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ की साध्वीश्री सौम्यप्रभा, सौम्यदर्शना, अक्षय दर्शना व पदमदर्शना के सान्निध्य में गुरुवार को रांग़ड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में मासिक संक्रांति महोत्सव मनाया गया। महोत्सव में साध्वीवृंद ने मांगलिक पाठ सुनाकर सबके मंगलमय जीवन की कामना की। शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे कोचरों के महिला उपासरे में देवी पद्मावती का महापूजन व रविवार को कोचरों के चौक में साध्वीवृंद का विदाई समारोह होगा।
समारोह में ज्ञान पाठशाला के बच्चों ने नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से बच्चों को धार्मिक, आध्यात्मिक शिक्षा व संस्कार का संदेश दिया। नाटक में भूमिका निभाने वाले काव्य कोचर, यश सेठिया, पल्लवी सुराणा, दिव्यांशी कोचर व दिव्या सुराणा का अभिनंदन संघ की ओर से किया गया। समारोह में 5 नवम्बर को कोचरों के चौक में भगवान महावीर की प्रथम शिष्या महासती चंदन बाला के जीवन आदर्शों से आधारित नाटक में विभिन्न भूमिका निभाने वाले 61 कलाकारों को सम्मानित किया गया।
साध्वीश्री सौम्य प्रभा ने कहा कि बच्चों में व्यवहारिक ज्ञान के साथ धार्मिक व आध्यात्मिक व श्रेष्ठ संस्कारों व संस्कृति का ज्ञान जरूरी है। इसके लिए श्रावक-श्राविकाएं बच्चों को बच्चों की धार्मिक पाठशाला में भेजे । बच्चों के धार्मिक व आध्यात्मिक तथा नैतिक ज्ञान बिना आने वाला कल बच्चों व उनके अभिभावकों के लिए कष्टप्रद हो सकता है। साध्वीश्री सौम्य दर्शना ने कहा कि देव, गुरु व धर्म की त्रिपुटी, ज्ञान, दर्शन व चारित्र की रत्नत्रयी की प्राप्ति सुख, शांति व चित की समाधि से मिलती है। इसके लिए श्रावक-श्राविकाएं आंतरिक साधना व आराधना और परमात्म भक्ति करें। भौतिक वस्तुओं व अनंत इच्छाओं से व्यक्ति को कभी जीवन में शांति नहीं मिल सकती । साध्वीश्री अक्षय दर्शन से मुस्लिम फकीर संत फरीद का उदाहरण देते हुए कहा कि माता के द्वारा बच्चों को दिए गए संस्कार से ही वह अच्छा धार्मिक, आध्यात्मिक इंसान बन सकता है। इस अवसर पर वीर मंडल, कोचर मंडल सहित विभिन्न मंडलों, वरिष्ठ गायक मगन कोचर आदि ने गुरुभक्ति के गीत प्रस्तुत किए।
साध्वी वृंद के चातुर्मास के संयोजक कोचर फ्रेंड्स क्लब के सदस्य जितेन्द्र कोचर ने साध्वीवृंद के चातुर्मास को अनुकरणीय, प्रेरणादायक बताया। संक्रांति का लाभ लेने वाले सुश्राविका शशि व सुश्रावक हेमचंद्र कोचर ने साध्वी वृंद का कम्बली ओढाकर सम्मानित किया। नाट्य प्रस्तुत देने वालों को वरिष्ठ श्रावक रिखब चंद सिरोहिया, विजय कोचर, ए.आर.कोचर विजय बांठिया, सुरेन्द्र बद्धाणी, रतन चंद कोचर, किशोर कोचर व हेमचंद्र कोचर आदि ने सम्मानित किया। गुरु वल्लभ के आदर्शों का गुणगान किया गया तथा संक्रांति भक्ति गीत गाया गया।

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