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बीकानेर,सरकारी नौकरियों में भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण के मुददे को लेकर राजस्थान में खींचतान तेज हो गई है। कांग्रेस सरकार के मंत्री और विधायक खुलकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं।एक तरफ जहां मंत्री और विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार के मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। आपस में एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह ने सीएम को पत्र लिखकर कहा कि सैनिकों एवं भूतपूर्व सैनिकों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हकीकत यह है कि पूर्व सैनिकों के लिए जो पद हैं, लगभग पूरे ही अन्य नागरिकों द्वारा भरे जा रहे हैं। क्योंकि अधिकतर बैकलाग में चले जाते हैं और असल में केवल 2.65 फीसदी पूर्व सैनिक उपलब्ध पद भर जाते हैं।

उन्होंने कहा कि यह खेद हैं कि प्रदेश में एक अफवाह फैलाई जा रही है कि पूर्व सैनिक अपनी संख्या के अनुपात में अधिक हक ले रहे हैं। जो कि एक वर्ग विशेष का है। मानवेंद्र सिंह ने कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग सैनिकों का वगों में बंटवारा करना चाह रहे हैं।मानवेंद्र सिंह दिग्गज भाजपा नेता स्व.जसवंत सिंह के पुत्र हैं। वे करीब चार साल पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। गहलोत ने उन्हे राज्यमंत्री का दर्जा देकर सैनिक कल्याण समिति का अध्यक्ष बनाया है।

उधरप्रदेश के राजस्व मंत्री सीएम से ओबीसी आरक्षण की विसंगति दूर करने का आग्रह किया है। पंजाब के प्रभारी और कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने आरक्षण में विसंगति को लेकर सीएम गहलोत पर लगातार निशाना साध रहे हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने कहा कि यदि आरक्षण में विसंगति को शीघ्र दूर नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा।यह है मामला

राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) आरक्षण में संशोधन करते हुए 17 अप्रैल, 2018 को एक आदेश जारी कर भूतपूर्व सैनिको को मिल रहे 12.5 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर दिया था। भूतपूर्व सैनिकों को ओबीसी वर्ग के 21 प्रतिशत आरक्षण में शामिल कर दिया गया था। ऐसे में 2018 के बाद से हुई सरकारी भर्तियों में अधिकांश पदों पर पूर्व सैनिक ही भर्ती हुए ।इन्हें 21 प्रतिशत आरक्षण में से ही नौकरी दी गई। चौधरी सहित ओबीसी वर्ग के नेता चाहते हैं कि सभी वर्गों के भूतपूर्व सैनिकों को 21 प्रतिशत कोटे में शामिल नहीं कर के जिस वर्ग का भूतपूर्व सैनिक है उसे उसी वर्ग में से आरक्षण का लाभ देते हुए नौकरी दी जाए।

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