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बीकानेर, हनुमानगढ़ बीकानेर रेंज के आईजी ओमप्रकाश जब हनुमानगढ़ पहुंचे तो पीड़ित पक्ष के लोगों ने वाटर पार्क में कारों पर फायरिंग की घटना को लेकर मामला दर्ज करने के लिए आईजी से मुलाकात की.पैसे के लेन-देन को लेकर गांव मनकसर रोही स्थित वाटर पार्क को लेकर दो पक्षों में विवाद के बाद बीकानेर रेंज के आईजी ओमप्रकाश पुलिस मुख्यालय जयपुर पहुंचे. टिब्बी तहसील निवासी एक युवक ने कार सवारों पर फायरिंग की घटना के संबंध में मामला दर्ज करने की मांग को लेकर आईजी से भी मुलाकात की. जानकारी के अनुसार ग्राम गिलवाला थाना टिब्बी निवासी शुभकरण (26) पुत्र ओम बिश्नोई ने बताया कि वह अपने बहनोई दीक्षांत गोदारा के साथ 5 नवंबर की शाम करीब 6.40 बजे पानी के रास्ते हनुमानगढ़ से चौटाला जा रहा था. गांव मनकसर के पास स्थित पार्क। खाना खरीदने के लिए रुके। जैसे ही वे वाटर पार्क पहुंचे, वहां तीन-चार आदमी हथियार के साथ खड़े थे। एक के पास पिस्टल और दूसरे के पास देसी पिस्टल थी। इन लोगों ने उन्हें रोका तो कहा कि वे खाने का सामान खरीदने आए हैं। तभी सामने से 30-40 लोग धारदार हथियारों से लैस होकर आए और उन पर हमला कर दिया। इन लोगों ने उनकी कार के आगे और पीछे के शीशे, बगल के दरवाजे की खिड़की के शीशे तोड़कर कार को क्षतिग्रस्त कर दिया.मामला जयपुर पहुंचने के बाद डीजीपी उमेश मिश्रा ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए शुरू में संगरिया थाना प्रभारी हनुमान राम को निलंबित कर दिया. उनका मुख्यालय भरतपुर में रखा गया है। इस मामले में पिछले वाटर पार्क में फायरिंग की सूचना मिली थी, लेकिन संगरिया पुलिस ने इसे अफवाह बताया. इस बीच वाटर पार्क पहुंचे कुछ लोगों ने बताया था कि लाठी-डंडों और हथियारों से लैस 200 से ज्यादा लोगों का जमावड़ा था, लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. इस बीच कोई सुनवाई नहीं होने पर मामले की सूचना पुलिस मुख्यालय को दी गई, जिस पर पुलिस महानिदेशक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले विजिलेंस टीम को यहां भेजा, फिर सीआई को निलंबित कर दिया. बताया जा रहा है कि इस मामले में पुलिस के आला अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं, जिन पर कार्रवाई की जा सकती है. मामले के पीड़ित आतिश गर्ग का कहना है कि कुछ लोगों ने वाटर पार्क में उनके स्टाफ और आम जनता को भगाने की कोशिश में फायरिंग कर दी थी. इससे एक-दो वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, लेकिन जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ। घटना के बाद उन्होंने संगरिया पुलिस के अलावा उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. वाटर पार्क संचालक आतिश गर्ग ने विवाद के बाद इस संबंध में पक्षकारों और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों से मदद की अपील की थी. इस बीच एक जन प्रतिनिधि ने यह कहते हुएकि उनके नाम पर समझौता हुआ है, पुलिस अधिकारियों से भी इसमें मदद करने को कहा, लेकिन अधिकारियों ने जनप्रतिनिधि को इस मामले से दूर रहने को कहा, इसे उच्च स्तरीय मामला बताया. विपक्ष के एक बड़े नेता से अपील की तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी बुलाया, लेकिन बात नहीं बनी. इस बीच जब पीड़ित पक्ष ने जयपुर में डीजीपी से संपर्क किया तो कार्रवाई की गई.

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