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बीकानेर,सर्दी शुरु होने के साथ ही हजारों किलोमीटर का सफर तय करके विदेशी प्रवासी पक्षी कुरजां का बीकानेर जिले के तहसील लूनकरणसर गांव में आगमन शुरु हो गया है।साइबेरिया से छह हजार किलोमीटर का सफर तय कर पहुंची कुरजां के कलरव से इन दिनों लूणकरणसर का ग्रामीण इलाका गूंजायमान है। प्रवासी पक्षी कुरजां रेगिस्तानी भूमि बीकानेर जिले के तहसील लुनकरणसार गांव में पहुंच गई है। अब धीरे-धीरे दिन-प्रतिदिन इनकी संख्या में तेजी से इजाफा होना शुरु हो जाएगा। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी उसके साथ इनकी संख्या भी तेजी से बढ़ेगी और इस बार इनकी तेज आवक को देख ऐसा लग रहा है कि इनकी संख्या रिकॉर्ड तक पहुंच जाएगी।

पक्षी प्रेमी व वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर राकेश शर्मा ने बताया कि कुरजां पक्षी न तो रास्ता भटकते है और न ही होता है एक दिन का विलम्ब यानि रेगिस्तानी भूमि पर पहुंचने का समय कभी भी गड़बड़ाता नही है। पिछले कई वर्षों से ये पक्षी सही समय पर यहां पहुंच जाते हैं और गर्मी आने से पहले यहां से वापिस रवाना हो जाते हैं। शर्मा बताते हैं कि साइबेरिया ब्लैक समुंदर से लेकर मंगोलिया तक फैले प्रदेश से हर साल हजारों कुरजां पक्षी एक साथ झुंड में पश्चिमी राजस्थान में प्रवास करते हैं। सर्दी के आगमन के साथ ही लगभग 6 से 8 महीने तक पश्चिमी राजस्थान में प्रवास करने वाले कुरजां अक्टूबर महीने के पहले सप्ताह से आना शुरु हो जाते हैं। इस साल अच्छी बारिश से तालाबों-नदियों में पानी की आवक होने से यहां आस-पास की जमीन में नमी है जिसके चलते यहां आए कुरजां के पहले जत्थे ने अपना पड़ाव डाल दिया है।दो से ढाई किलो का वजन, कीड़े-मकौड़े खाकर पेट भरती है कुरजां

कुरजां का वजन दो से ढाई किलो का होता है। कुरजां पानी के आसपास खुले मैदान व समतल जमीन पर ही अपना अस्थायी डेरा डालकर रहते है। इन पक्षियों का मुख्य भोजन मोतिया घास होती है, पानी के पास पैदा होने वाले कीड़े मकौड़े खाकर कुरजां अपना पेट भरती है। इस साल अच्छी बारिश से क्षेत्र में मतीरे की फसल होगी। यह भी कुरजां का पसंदीदा भोजन है।

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