बीकानेर, जयपुर।केंद्रीय श्रम व पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव 19 और 20 अगस्त को राजस्थान के 10 विधानसभा क्षेत्रों में जन आशीर्वाद यात्रा निकालेंगे। यादव 19 अगस्त को अलवर जिले से राज्य में प्रवेश करेंगे। अलवर जिले में कई स्थानों पर उनका स्वागत होगा। इसके बाद वह जयपुर पहुंचेंगे। यहां बिड़ला सभागार में एक कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद वह कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। यादव अगले दिन 20 अगस्त को अजमेर और पुष्कर में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जाएगा। यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और नो मास्क नो एंटी की गाइडलाइन का पालन किया जाएगा।उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद के शामिल किए गए 39 नए मंत्री पूरे देश में तीन से सात दिन तक यात्रा निकालेंगे। मंत्री 20 हजार किलोमीटर की यात्रा करेंगे। एक मंत्री करीब 200 किलोमीटर की यात्रा करेगा। प्रत्येक मंत्री यात्रा के दौरान दो संसदीय क्षेत्रों में अवश्य जाएगा। इस दौरान वह केंद्र सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों के बारे में बताएंगे। उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि किसान आंदोलन के दौरान केंद्रीय मंत्री राजनीतिक यात्रा कर रहे हैं। इन्हें किसानों से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री यात्रा के दौरान किसानों के घाव पर नमक छिड़कने का काम करेंगे।
गौरतलब है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को कहा कि पशु संरक्षण तथा मानव-पशु संघर्षों से निपटने के लिए जनभागीदारी और स्थानीय क्षेत्रों का ज्ञान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें उन क्षेत्रों की पहचान करने की जरूरत है जहां मानव-पशु संघर्ष होते हैं। हमें इन मुद्दों को हल करने के लिए नीति तैयार करते समय स्थानीय क्षेत्रों का दौरा करना होगा। मंत्री ने एक कार्यक्रम में यह बात कही जिसमें उन्होंने हाथी और बाघों की आबादी के आकलन के लिए अखिल भारतीय समकालिक पद्धति जारी की। यादव ने कहा कि शेर संरक्षण का मुद्दा आने के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह-सात दिनों तक गिर में डेरा डाला था। उन्होंने कहा, ‘एशियाई शेर अगर कहीं भी सुरक्षित है तो वे गिर (गुजरात) में हैं और इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है, क्योंकि उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया।’ मंत्री ने कहा कि पशु संरक्षण जमीनी स्तर पर काम किए बिना नहीं हो सकता क्योंकि केवल तकनीक के जरिये यह मुमकिन नहीं है। जनभागीदारी और स्थानीय क्षेत्र का ज्ञान इसके लिए आवश्यक है।