बीकानेर, विधि विद्यार्थी भारत के संविधान का भविष्य है तथा सही अर्थों मे संविधान के सजग प्रहरी है एवं भारतीय संविधान की मुल भावना के सच्चे वाहक है। यह उद्गार राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीपति डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने मुख्य वक्ता के रूप में ब.ज.सि. रामपुरिया जैन विधि महाविद्यालय तथा बार एसोसिएशन, बीकानेर के सयुक्त तत्वाधान में विधि के बदलते आयाम विषय पर महाविद्यालय परिसर में आयोजित विस्तार व्याख्यान में कही।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए माननीय न्यायाधीश डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने विधि विद्यार्थियों तथा अधिवक्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में विधि के क्षेत्र में अनेक संभावनाए हैं एवं विशेष रूप से महिलाओं के लिये यह क्षेत्र अपार संभावनाओं से युक्त है। न्यायाधिपति भाटी नें कहा कि वर्तमान समय में आर्टिफिशयल इंटेलिजंेस तथा बढते हुए तकनीकी विकास ने अधिवक्ताओं, न्यायधिशों, न्यायलय तथा विधि विधार्थी एवं शिक्षकों के सामने अनेक नई चुनौतिया खडी कर दी है। अतः नई चुनौतियों को स्वीकार करते हुए एवं समय के साथ आए बदलाओं को ध्यान में रखते हुए अपने आप को अद्यतन ज्ञान से जोडे रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज से जुडे अनेक सामाजिक मुददे तथा उनसे जुडी विभिन्न नीत नई चुनौतियों ने न्यायपालिका तथा अधिवक्ताओं के दायित्वों को बढा दिया है। न्यायपालिका का कार्य नैतिकता को स्थापित करने का नहीं बल्कि अपने सामने आये पिडित पक्षकार के सवैंधानिक अधिकारों की रक्षा करना एवं सवैधानिक भावना के अनुरूप सवैंधानिक मूल्यों की स्थापना करना है।
न्यायाधिपति भाटी ने न्यायालयों की लाइव स्ट्रीमिंग एवं न्यायपालिका की पारदर्शिता पर विस्तार से चर्चा करते हुए सोशियल मीडिया का सदुपयोग करते हुए बदलाव लाने की बात कही और विधि महाविद्यालयों को सामाजिक विषयों पर भी चिन्तन तथा वाद-विवाद तथा सेमिनारों के माध्यम जन चेतना जागृत करने का प्रयास निरन्तर करते रहना चाहिए।
केशवानन्द भारती बनाम केरल राज्य के अति महत्तवपूर्ण मामले में जस्टिस मेथ्यू द्वारा दिए गए वक्तव्य का उल्लेख करते हुए न्यायाधिपति भाटी ने कहा कि संविधान का भाग 3 मौलिक अधिकारों वाला भाग एक ऐसे खाली बरतन जैसा है जिसे किस प्रकार भरा जाना है तथा कितना भरा जाना है यह तय करने का अधिकार आम जन तथा विधि क्षेत्र से जुडे हुए व्यक्तियों पर है।
इससे पूर्व अपने स्वागतीय उद्बोधन में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ. बिठ्ठल बिस्सा ने महाविद्यालय के गौरवमयी इतिहास के बारे में अतिथियों को अवगत कराते हुए कहा कि सन 1973 में स्थापीत यह महाविद्यालय विधि शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नये आयाम स्थापीत कर रहा है।
विस्तार व्याख्यान की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनन्त जोशी ने करते हुए अपने अध्यक्षीय उदबोधन में न्यायाधिपति डॉ. पुष्पेन्द्र भाटी का विशेष आभार व्यक्त करते हुए उन्हें यह विश्वास दिलाया कि इस महाविद्यालय के विधार्थी भारतीय संविधान के मूल आत्मा तथा प्रावधानों के अनुरूप एक सजग प्रहरी के रूप में कार्य करते हुए विधि क्षेत्र में अपनी सेवाओं का निष्पादन करेंगे।
प्राचार्य जोशी ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, अधिवक्तागण विभिन्न महाविद्यालयों से पधारे गये प्राचार्यगण तथा मीडिया कर्मियों का धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया।
विस्तार व्याख्यान में मंचासिन वाणिज्यिक न्यायालय बीकानेर के न्यायाधिश मदन मोहन अत्रे, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विवेक शर्मा, बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य एडवोकेट कुलदीप शर्मा एवं बार एसोसिएशन के स्पीकर एडवोकेट मुमताज अली ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों के द्वारा मॉं सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित करके हुई।
कार्यक्रम में राजकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. भगवानाराम जी विश्नोई, ज्ञान विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. भंवर विश्नोई, रामपुरिया महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पंकज जैन, सिस्टर निवेदिता कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रीतेश व्यास, विभिन्न महाविद्यालयों के व्याख्यातागण, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रे्ट, बीकानेर श्री मुकेश सोनी, सिविल न्यायाधीश अनुभव तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता बिहारी सिंह राठौड., श्याम लदरेचा, बार एसोसिएशन के सचिव एडवोकेट राजपाल सिंह, उपाध्यक्ष घनश्याम जनागल, पुर्व लोक अभियोजक एडवोकेट ओम हर्ष, एडवोकेट अविनाश चन्द्र व्यास, अधिवक्ता लेखराज, संदीप स्वामी, विक्रम सिंह राठौड., तेजकरण सिंह, राकेश धवन, मनोज विश्नोई सहित बीकानेर बार एसोसिएशन के समस्त पदाधिकारी एवं अधिवक्तागण, महाविद्यालय के समस्त व्याख्याता तथा विधि विधार्थी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. रीतेश व्यास ने किया।