बीकानेर,आगामी गुरुवार को बीकाजी ब्रांड (शिवदीप फूड्स) का IPO आ रहा है. IPO के जरिए बीकाजी फूड्स की 1000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है. IPO 3 नवंबर से खुलेगा और निवेशकों के पास 7 नवंबर, 2022 तक इस IPO को सब्सक्राइब करने का अवसर होगा.विशेषज्ञों की मानें तो बीकाजी के शेयर ग्रे मार्केट में 70 से 76 रुपए के प्रीमियम (GMP) पर बिक रहे हैं. शेयर मार्केट के दिग्गजों की भविष्यवाणी है कि बीकाजी के शेयह निवेशकों के लिए फायदे का सौदा साबित होंगे.
लेकिन असली कहानी तो ये है कि आज से 80 साल पहले 1940 में राजस्थान के शहर बीकानेर में एक छोटी सी भट्टी पर भुजिया बनाने से शुरू हुई एक छोटी सी दुकान कैसे आज 1600 करोड़ रुपए के नेट वर्थ वाली विशालकाय कंपनी में तब्दील हो गई.
बीकाजी के शुरू होने, खड़े होने और एक दिन दुनिया के नामी ब्रांड्स में से एक बन जाने की कहानी काफी उतार-चढ़ावों, संघर्षों, पारिवारिक विवादों और अदम्य जज्बे की कहानी है. बीकानेर में हुआ था भुजिया का आविष्कार
बीकानेर एक तरह से भुजिया और इस तरह के स्नैक्स बनाने वाली बड़ी कंपनियों का हब है. इस शहर के भुजिया के हब बनने का इतिहास बहुत पुराना है. सच तो ये है कि भुजिया जैसी चीज का आविष्कार भी दरअसल पहली बार बीकानेर में ही हुआ था. वर्ष 1877 में महाराजा डूंगर सिंह के समय बीकानेर स्टेट में पहली बार भुजिया बनाई गई थी. बीकानेर में बनी भुजिया देश भर में इतनी प्रसिद्ध हुई कि अब ब्रांड का नाम चाहे जो भी हो, लोग हर भुजिया को अकसर बीकानेरी भुजिया कहते ही पाए जाते हैं.
इस ब्रांड का नाम हुआ करता था ‘हल्दीराम भुजियावाला’
बीकाजी ब्रांड का नाम हमेशा से ये नहीं था. उनकी दुकान का नाम ‘हल्दीराम भुजियावाला’ हुआ करता था, जिसकी शुरुआत की थी हल्दीराम अग्रवाल ने. शुरू में ये एक छोटी सी दुकान हुआ करती थी. उसी दुकान में भुजिया बनाई और बेची जाती थी. हल्दीराम खुद अपने हाथों से भुजिया बनाते थे. उनकी दुकान धीरे-धीरे पूरे शहर में प्रसिद्ध हो गई. धीरे-धीरे प्रसिद्धि बढ़कर शहर की सीमा को पार कर दूर-दराज के शहरों और फिर पूरे राज्य में फैल गई. हल्दीराम बाद में कोलकाता चले गए और वहीं जाकर बस गए. हल्दीराम के जीवनकाल में उनके नमकीन ने बीकानेर शहर में तो खूब नाम कमाया था, लेकिन उसे 1600 करोड़ की बड़ी कंपनी बनाने का काम किया उनकी संततियों ने.
भाइयों से अलग होकर हल्दीराम के पोते ने शुरू किया अपना ब्रांड
हल्दीराम के बाद ‘हल्दीराम भुजियावाला’ का कारोबार संभाला उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल ने. मूलचंद अग्रवाल के चार बेटे हुए शिवकिसन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल, मधु अग्रवाल और शिवरतन अग्रवाल.
शिवकिसन, मनोहरलाल और मधु ने मिलकर भुजिया का एक नया ब्रांड शुरू किया और नाम रखा अपने दादाजी के नाम पर- हल्दीराम. लेकिन चौथे बेटे शिवरतन अग्रवाल ने तीनों भाइयों के साथ मिलकर कारोबार करने की बजाय एक नए ब्रांड की शुरुआत की. यह नया ब्रांड था- बीकाजी. बीकानेर के संस्थापक के नाम पर पड़ा ब्रांड का नाम
शिवरतन अपने नए ब्रांड के लिए एक ऐसे नाम की तलाश में थे, जिसमें इतिहास, परंपरा और शहर तीनों की महक हो. बीकानेर शहर की स्थापना राव बीकाजी ने की थी. अपने शहर के उसी संस्थापक के नाम पर शिवरतन ने अपने ब्रांड का नाम रखा बीकाजी. 1986 में इस कंपनी का नाम बदलकर शिवदीप फूड्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड कर दिया गया.
आज यह कंपनी ढ़ाई सौ से ज्यादा प्रोडक्ट बनाती है. बीकाजी के प्रोडक्ट विदेशों में भी सप्लाय किए जाते हैं. उनके बनाए प्रोडक्ट्स में वेस्टर्न स्नैक्स और फ्रोजेन चीजें भी शामिल हैं. देश भर में 8 लाख से ज्यादा दुकानों में आज बीकाजी के प्रोडक्ट मिलते हैं. ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, रूस और मिडिल ईस्ट तक जाते हैं बीकाजी के प्रोडक्ट
आज दुनिया भर के चालीस से ज्यादा देशों में बीकाजी के प्रोडक्ट सप्लाय होते हैं. दुनिया के जिन भी हिस्सों में भारतीय रहते हैं, वहां इस ब्रांड के प्रोडक्ट्स की डिमांड है. बीकाजी ब्रांड के एक्सपोर्ट की शुरुआत 1994 में संयुक्त अरब अमीरात से हुई थी. आज अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बहरीन, नॉर्वे, स्वीडन, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग जैसे देशों में बीकाजी के प्रोडक्ट एक्सपोर्ट किए जाते हैं.
देश भर की 80 लाख दुकानों में बिकते हैं बीकाजी के 250 प्रोडक्ट
देश में भी बीकाजी के उत्पादों का सप्लाय नेटवर्क काफी बड़ा था. यूं तो देश भर की 80 लाख से ज्यादा दुकानों में बीकाजी के प्रोडक्ट मिलते हैं, लेकिन इसके अलावा सभी बड़े महानगरों के साथ टियर टू शहरों में बीकाजी के अपने खुद के आउटलेट भी हैं, जहां उनके सारे प्रोडक्ट उपलब्ध हैं. दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद, जोधपुर, जयपुर, उदयपुर समेत तमाम शहरों में बीकाजी के आउटलेट्स हैं. इसके अलावा कई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी बीकाजी के आउटलेट्स मौजूद हैं.