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बीकानेर,नाबार्ड द्वारा राजीविका व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा बनाये गये स्वंय सहायता समूहों की महिलाओं के लिए बीकानेर के डूंगरगढ एवं लूणकरणसर में सतत आय अर्जन के लिए राजीविका एवं श्री गुरु जम्बेशर सेवा संस्थान, जयपुर के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रारंभ किया है, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में श्री भूपेन्द्र ज्याणी, अतिरिक्त रजिस्टर, सहकारी समितियाँ द्वारा नाबार्ड तथा राजीविका को मिलकर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के लिए काम करने के लिए धन्यवाद देते हुए उनको आय अर्जन के लिए प्रेरित करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोगी संस्थाओं को धन्याद ज्ञापित किया. उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाओ को स्वालम्बी बनाने के साथ ही साथ प्रशिक्षण के माध्यम से आय अर्जन के लिए काम करना चाहिए. नाबार्ड द्वारा बीकानेर में राजीविका तथा गैर सरकारी संस्थान के माध्यम से सैनेटरी नैपकीन बनाने तथा उनको ग्रामीण बाजार में महिलाओं के लिए उपलब्ध करवाने के प्रयास करने के प्रयासों के लिए जिला प्रशासन के सहयोग की अपेक्षा की नाबार्ड जिला विकास प्रबंधक, रमेश ताम्बिया द्वारा आजीविका एवं उघम विकास कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर सैनेटरी नैपकीन की उपोगिता बताते हुए कहा कि स्वच्छता के साथ साथ अच्छा स्वास्थ्य हमेशा से महिलाओं की आवश्यकता का मुख्य हिस्सा रहा है. इसी कड़ी में महिलाओं के लिए सही मूल्य पर सैनेटरी नैपकिन उनके आवास के आस-पास उपलब्ध करवाने के लिए सैनेटरी नैपकीन उत्पादन एवं बाजारोन्मुखी -आजीविका एवं उधम विकास कार्यक्रम को प्रारंभ किया जा रहा है, अंत इस दिशा में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाये जाने वाले सैनेटरी नैपकिन के लिए बाजार उपलब्ध है केवल स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा मार्केटिंग के माध्यम से उन महिलाओं तक पहुँचाना है जहाँ अभी तक सैनेटरी नैपकिन पहुँच नहीं पा रहा है. इस कार्य के लिए स्वयं सहायता समूह सबसे उपयुक्त माध्यम है. यह कार्यक्रम महिलाओं द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए किया जा रहा है नाबार्ड को इसमें केवल एक सहायक की भूमिका के रूप में है तथा राजीविका जिला प्रबंधक श्री रघुनाथ डूडी, श्री योगेश चोबदार, सुश्री सरोज कंवर एवं श्री सीताराम राजोरिया इस कार्यक्रम की सफलता के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आश्वस्त किया कि वे प्रतिदिन कम से कम 05 से 06 घण्टे इस प्रशिक्षण के माध्यम से सैनेटरी नैपकीन उत्पादन की तकनीक को सीखकर अपने क्लस्टर की शेष महिलाओं को सिखायेगी जिसका प्रभाव यह होगा की जब एक महिला उत्पादक के रूप में काम करेंगी तो दूसरी महिला उत्पाद को बाजार में पहुंचाने का कार्य कर सकेंगी.

नाबार्ड द्वारा 30-30 के तीन बैच बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रशिक्षण प्रदान किया जावेगा तथा प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को बाजार से जोडने के लिए जिला विकास प्रबंधक तथा राजीविका द्वारा महिलाओं को अन्य संस्थाओं व गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलाकर अपने उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने का प्रयास किया जावेगा आजीविका एवं उद्यम विकास कार्यक्रम के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों के लिए सैनेटरी नैपकिन उत्पादन यूनिट प्रदान की जावेगी जिससे स्वयं सहायता समूह की महिलाए आय अर्जन के लिए उत्पादन कर सके तथा बाजार को आवश्यकतानुसार सैनेटरी नेपकिन उपलब्ध करवा सकें. इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य है कि बीकानेर के सीमावर्ती एवं ग्रामीण परिवेश की महिलाओं के लिए उचित दर पर सैनेटरी नैपकिन के प्रति जागरुकता तथा आवश्यकता के समय उचित दर पर उपलब्धता होना स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित करते हुए अपने-अपने क्षेत्र की महिलाओं को सैनेटरी नेपकिन की उपयोगिता के बारे में बताना तथा इसकी उपलब्धता के लिए प्रेरित है, जिससे कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को इसकी उपयोगिता तथा आसानी से उपलब्धता को बढाया जा सकें और महिलाओं को सशक्त व स्वस्थ रखने में नाबार्ड अपनी भूमिका निभा सके.

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